mmप्रधानमंत्री ने दिया राजस्थानी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने का भरोसा

जयपुर, । राजस्थानी भाषा मान्यता समिति के प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात कर राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की।प्रधानमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल की बात को ध्यान से सुना और सकारात्मक प्रतिक्रिया के साथ मान्यता के सम्बन्ध में उचित कारवाई करने का भरोसा दिलाया। प्रतिनिधिमंडल में सांसद अर्जुनराम मेघवाल, समिति के अध्यक्ष के.सी. मालू, दिल्ली में प्रवासी राजस्थानियों की प्रतिनिधि संस्था राजस्थान संस्था संघ के अध्यक्ष सुरेश खण्डेलवाल, महामंत्री के.के. नरेड़ा, राजस्थानी पत्रिका माणक के सम्पादक पदम मेहता और राजेन्द्र व्यास शामिल थे। प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री को बताया कि राजस्थानी भाषा हजार वर्ष से भी पुरानी समृद्ध शब्दकोष और प्रचुर साहित्य वाली भाषा है तथा देश-विदेश में करीब दस करोड़ लोग इस भाषा को जानने और बोलने वाले हैं। देश के साहित्य में वीर एवं भक्तिरस के साथ ही संस्कृति के संरक्षण में राजस्थानी भाषा का असाधारण योगदान है। मान्यता प्राप्त सत्रह में से दस अन्य भाषाओं के समान ही राजस्थानी भाषा की लिपि भी देवनागरी है। संविधान की आठवीं अनुसूची में वर्णित भाषाओं में राजस्थानी ही ऐसी भारतीय भाषा है जो केन्द्रीय साहित्य अकादमी द्वारा मान्यता प्राप्त है। राजस्थानी भाषा को नेपाल में संवैधानिक दर्जा प्राप्त है एवं अमेरिका में नौकरियों के लिए मान्यता है।प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री को बताया कि राजस्थानी भाषा को मान्यता मिलने से राष्ट्रभाषा हिन्दी का विकास होगा। साथ ही भारतीय संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा और राजस्थान के शिक्षित युवक-युवतियों को शिक्षा, रोजगार एवं प्रतियोगी परीक्षाओं में अधिक अवसर उपलब्ध हो सकेंगे।समिति के अध्यक्ष के.सी. मालू ने ने बताया कि संविधान के अनुच्छेद 344 और 351 में राज्यों को हिन्दी के विकास के साथ राज्य की मातृ भाषा का भी ध्यान रखना आवश्यक है।

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