कांग्रेस की असलियत जान चुका है अनुसूचित जाति वर्ग : भाजपा
ग्वालियर, 04 जून (हि.स.)। आजादी के बाद से सबसे अधिक समय तक सत्ता में बने रहने वाली कांग्रेस पार्टी कभी भी अनुसूचित जाति वर्ग की हितैषी नहीं रही। कांग्रेस पार्टी जैसे राजनैतिक दल ने संविधान निर्माता बाबा साहेब अंबेडकर के जीवन में उनको अपमानित करने का काम किया है। अभी तक देश में कुल 39 लोगों को भारत रत्न का सम्मान दिया गया, लेकिन कांग्रेस ने दो लोगों को कभी भी भारत रत्न नहीं लेने दिया। पहला भीमराव अंबेडकर जी एवं दूसरा सरदार बल्लभ भाई पटेल जी को। कांग्रेस नेताओं ने तो डॉ अंबेडकर जी की सांसद की राह में भी हमेशा अवरोध पैदा किया और उन्हें हराने की कोशिश ेकरते रहे, इसी का नतीजा है कि वे दूसरी बार संसद की चौखट तक नहीं पहुंच पाएं। उक्त वक्तव्य भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य एवं पूर्व पार्षद विनोद अष्टैया ने दिया।भाजपा कार्यालय से जारी विज्ञप्ति में श्री अष्टैया ने कहा कि कांग्रेस पार्टी की डॉ अंबेडकर के प्रति कभी कोई सहानुभूति या हितचिंतक की भावना नहीं रही। डॉ अंबेडकर के संसद में पहुंचने के लिए डॉ श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने पश्चिम बंगाल में राह बनाई और डॉ साहेब अंबेडकर केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हुए लेकिन पं नेहरू की असंगत नीतियों से खफा होकर डॉ श्यामाप्रसाद मुखर्जी और डॉ अंबेडकर ने इस्तीफा दे दिया और राष्ट्रवाद का अलख जगाया। केंद्र में तत्कालीन अटलविहारी वाजपेयी सरकार और मौजूदा समय में केंद्र की भाजपा शासित मोदी सरकार और प्रदेश की शिवराज सरकार ने संविधान के शिल्पी डॉ अंबेडकर के जीवन से जुडे सभी आठ स्थानों को भव्यता प्रदान करने का बीडा उठाकर उनके जीवन दर्शन और सिद्घांतों को अमृत प्रदान किया है। अटल जी और आडवाणी ने पहल कर संसद के केंद्रीय पक्ष में संविधान के निर्माता डॉ अंबेडकर का चित्र शामिल कराया जबकि कांग्रेस इसके खिलाफ रही है। श्री अष्टैया ने कहा कि दलितों के खिलाफ अन्याय की लडाई का बीडा भारतीय जनसंघ से लेकर भारतीय जनता पार्टी ने उठाया था, जबकि कांग्रेस ने आजादी के बाद अल्पसंख्यकवाद, जाति पांति और सम्प्रदायवाद को पैदाकर समाज में बंटवारा किया। इस बंटवारे के पीछे कांग्रेस की मंशा औपनिवेशिक मानसिकता को बनाए रखना और बांटो तथा राज करो के लक्ष्य में सफल होना था। कांग्रेस उपाध्यक्ष श्री राहुल गांधी को यदि आजादी के ६७ वर्ष बाद आत्मबोध हुआ है और वे दलितों से अन्याय के विरूद्घ लडाई का ऐलान करते है तो भारतीय जनता पार्टी उनके सकारात्मक सोच का स्वागत करती है। श्री राहुल गांधी भी सहयोगी बन सकते है।श्री अष्टैया ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जो हमेशा से कांग्रेस और अब उपाध्यक्ष श्री राहुल गांधी की आंख की किरकिरी बना है उसने जातिविहीन समाज की कल्पना बहुत पहले ही कर ली थी। जब महात्मा गांधी वर्धा आश्रम में समीप लगे संघ के शिविर में पहुंचे और समरसता भोज को देखा तो महात्मा गांधी ने इस सामाजिक एकता वर्ग विहीन समाज, अस्पृष्यता के विरूद्घ पहल का स्वागत किया था और वहां सभी लोगों को एक साथ अनुशासित ढंग से भोजन करते देखा था तो वे आश्चर्य चकित रह गए थे। उन्होंने कहा था कि काश कांग्रेस इस दिशा में शीर्ष पर पहुंच गयी होती, तो देश कहीं का कहीं पहुंच गया होता। बाद में पं. नेहरू, श्रीमति इंदिरा गांधी ने जाति, वर्ग और सम्प्रदायों में बांटकर अपना वोट बैंक बढाया और समाज को खानों में बांट दिया।श्री अष्टैया ने कहा कि डॉ. अंबेडकर ने कांग्रेस में पनपे अछूतवाद को गंभीरता से लिया था और कहा था कि इसके विरोध में ऐसा कदम उठाउंगा कि सब देखते रह जायेंगे। डॉ. अंबेडकर ने कहा था कि न तो मुस्लिम धर्म अपनाउंगा और न ईसाइयत को गले लगाउंगा। उन्होंने बौद्घ धर्म का प्रर्वतन किया। कांग्रेस ने हमेशा डॉ. अंबेडकर को अपमानित किया। राहुल गांधी को तो डॉ. अंबेडकर का नाम लेने का भी अधिकार नहीं है। राहुल गांधी का महू में अंबेडकर को श्रद्घांजलि देना उनकी सियासी मजबूरी रही है। कांग्रेस का पिछ$डो दलितों से कभी कोई सरोकार नहीं रहा, सिर्फ यह कांग्रेस के वोट बैंक रहे हंै।