Secretary_Tim_Geithner_and_Finance_Minister_Pranab_Mukherjee_2010_cropराष्ट्रपति को उम्मीद,संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत होगा शामिल
राष्ट्रपति के विमान से,। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज उम्मीद जताई है कि संयुक्त राष्ट्र में सुधार लागू होने के बाद विस्तारित की जाने वाली सुरक्षा परिषद में भारत का नाम शामिल होगा। स्वीडन और बेलारूस की पांच दिन की यात्रा के बाद लौट रहे राष्ट्रपति ने विशेष विमान में संवाददाताओें से यह बात कही। श्री मुखर्जी ने कहा कि दोनों देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में स्थाई सदस्यता पाने के भारत के दावे के समर्थक हैं। उन्होंने कहा कि स्वीडन और बेलारूस अपना समर्थन दोहरा चुके हैं, लेकिन संयुक्त राष्ट्र में सुधार की एक प्रक्रिया है और जब सुरक्षा परिषद में विस्तार होगा, हम उम्मीद कर सकते हैं कि भारत के मामले पर प्रमुखता से विचार किया जाएगा।उन्होंने कहा कि इसके अलावा भी विभिन्न देश अपनी इच्छा व्यक्त कर चुके हैं कि भारत को सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता मिलनी चाहिए।प्रणब ने कहा कि हमने आतंकवाद के बारे में उल्लेख किया है, लेकिन हर देश की अपनी अवधारणा होती है और संयुक्त राष्ट्र में जब इन मुद्दों पर चर्चा होती है, तो वे अपने विचार व्यक्त करते हैं। उन्होंने कहा कि इस बुराई से लड़ने की अंतराष्ट्रीय समुदाय की समग्र इच्छा है पर तरीकों और अन्य चीजों में अंतर हो सकता है, लेकिन कोई भी देश खुले तौर पर आतंकवाद का समर्थन नहीं करता। दोनों देशों में अपने विचार विमर्श को सफल करार देते हुए मुखर्जी ने कहा कि राजकीय यात्राएं इन दोनों देशों के साथ हमारी भागीदारी को और मजबूत बनाने के नए प्रयासों का प्रतिबिंब हैं। उन्होंने कहा कि मैंने इस अवसर का इस्तेमाल भारत में आर्थिक स्थिति और सरकार की नीतिगत पहलों के बारे में दोनों नेतृत्वों को अवगत कराने के लिए किया।गौरतलब है कि भारत और स्वीडन ने छह अंतर सरकारी समझौतों पर हस्ताक्षर किए जिनमें शहरी विकास, मध्यम एवं लघु उद्योग, ध्रुवीय अनुसंधान, असैन्य परमाणु अनुंसधान और औषधि क्षेत्रों में सहयोग शामिल है। दोनों देशों के शैक्षिक संस्थानों, थिंक टैंकों और चैंबर्स ऑफ कॉमर्स के बीच 17 सहमति पत्रों पर भी दस्तखत हुए।बेलारूस में वस्त्र उद्योग, मानकीकरण, पूंजी बाजारों और प्रसारण क्षेत्र में सहयोग के लिए पांच समझौतों और सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर हुए। भारत-बेलारूस सहयोग के लिए एक केंद्रित और मौलिक प्रारूप पर भी सहमति हुई जो आगामी दिनों में गहन विचार विमर्श के लिए विशिष्ट क्षेत्रों की पहचान करता है।

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