जिले में हजारों टेलीफोन बंद तथा मोबाइल सेवाएं भी ठप्प
रतलाम जिले में दूरसंचार व्यवस्था ठप्प हो गई है। बाजना, सैलाना, शिवगढ़ सहित अन्य ग्रामीण इलाकों में टेलीफोन ठप्प है, वहीं रतलाम शहर में भी लगभग 2 हजार टेलीफोन बंद पड़े है। नेट व्यवस्था भी गड़बड़ा रही है,कई दिनों से नेट की गति भी अत्यधिक धीमी है, जिसके कारण दूरसंचार उपभोक्ताओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है और उनका विश्वास भारत दूरसंचार से उठता जा रहा है।
एक तरफ तो दूरसंचार विभाग ने कई योजनाएं लागू करने की घोषणा की है। वहीं दूसरी ओर दूरसंचार व्यवस्था इस कदर ठप्प है कि लोग अब दूरसंचार कनेक्शन कटाने तथा मोबाइल सेवा बंद करने का निर्णय ले रहे है। हाल ही में दूरसंचार जिला प्रबंधक ने पत्रकारवार्ता लेकर दूरसंचार व्यवस्था को एक-दो माह में ठीक करने का आश्वासन दिया था,लेकिन व्यवस्था सुधरने की बजाए निरंतर बिगड़ रही है। कई गांवों में पिछले कई दिनों से टेलीफोन बंद पड़े है। यह स्थिति जावरा,आलोट, ताल, सैलाना, पिपलौदा तथा बाजना विकासखंडों के सैकड़ों ग्रामों की है।
mtnlदूरसंचार विभाग में ठेका प्रथा और निजीकरण के कारण नई भर्ती नहीं हो रही है और पुराने लोग सेवानिवृत्त हो रहे है, जिसके कारण अधिकारियों को भी काम करने में मुश्किल आ रही है। लाईनमेनों की भी कमी है। सज्जनमील में हाल ही में फोरलेन सड़क निर्माण के कारण केबल जगह-जगह कट गई। शहर के अनेक इलाकों में डामरीकरण एवं पाईपलाईन डालने के दौरान कई टेलीफोन लाईनें कटी है जो आज तक नहीं सुधर पाई है। बारिश के दिनों में इन लाईनों में पानी भर गया, जिसके कारण यह व्यवस्था भी चौपट हो गई है।
कैसे जुड़ेगी हर ग्राम पंचायत नेट तथा ब्राडबेंड से ?
हर ग्राम पंचायत को नेट व ब्राडबेंड से जोड़ने की योजना केंद्र सरकार ने बनाई है। वायफाई की सुविधा से जोड़ने की भी घोषणा की है, लेकिन यह घोषणा भी केवल छलावा ही नजर आ रही है। इसका कारण है कि वर्तमान व्यवस्था ही जब ठप्प है तो नई  योजना कैसे क्रियान्वित हो पाएगी और कैसे टेलीफोन उपभोक्ताओं की शिकायत को दूर किया जाएगा यह विचारणीय प्रश्न है ?

 

टेलीफोन विभाग के अधिकारी,कर्मचारी, स्टाफ की कमी के कारण असहाय नजर आते है। दफ्तरों में अधिकारियों की तलाश करें तो वह फिल्ड में जाने का बहाना कर शिकायतों को टाल देते है,क्योंकि उनके पास शिकायतों को दूर करने के लिए लाईनमेन व अन्य स्टाफ नहीं है, वह उपभोक्ताओं को क्या जवाब दे। इसलिए वह टेबल से ही गायब रहते है और जो टेलीफोन नंबर शिकायत दर्ज करने के लिए दिए गए है वे टेलीफोन भी अक्सर बंद रहते है और लम्बी घंटी जाने के बाद भी कोई उठाता नहीं। ऐसे में उपभोक्ता किस को शिकायत करें ?
मोबाइल सेवा भी भगवान के भरोसे
जहां तक मोबाइल सेवा का सवाल है दूरसंचार विभाग ने मोबाइल सेवाओं को महंगा कर दिया है। कई जगह टावर नहीं मिलते और मोबाइल सेवाएं इसी कारण काम नहीं कर पाती। अक्सर मोबाइल के नंबर या तो रेंज से बाहर बताए जाते है या फिर मोबाइल उपभोक्ताओं को कहा जाता है कि ‘‘जिस नंबर पर आप बात करना चाहते है वह अभी बंद है’’। इस प्रकार के जवाब सुन-सुनकर मोबाइल उपभोक्ता अब परेशान हो गए है। हाल ही में दूरसंचार प्रबंधक ने आश्वासन दिया था कि एक माह के अंदर मोबाइल सेवा बेहतर होगी, नेट तेज गति से चलेंगे, लेकिन यह शिकायत अभी दूर नहीं हुई है।
कही दूरसंचार विभाग निजी हाथों में तो नहीं जा रहा ?
दिनो-दिन दूरसंचार विभाग का नेटवर्क खराब होता जा रहा है। केंद्र सरकार नई-नई योजनाएं लागू कर रही है, लेकिन निचले स्तर पर सरकार का ध्यान नहीं है। कहते है कि सारा दूरसंचार विभाग अब निजी हाथों में जा रहा है। बड़े उद्योगपति दूरसंचार सेवा को हथियाना चाहते है। इसी कारण नई भर्ती नहीं हो रही है और लोगों को परेशान करने के सारे हथकंडे अपनाए जा रहे है, ताकि लोग भारत दूरसंचार सेवा से अपने हाथ जोड़ ले। राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत लोग निजी टेलीफोन कंपनियों के बजाए भारत दूरसंचार सेवाओं को प्राथमिकता देते है,लेकिन स्थिति यह है कि राष्ट्र, प्रेम व देशभक्ति का संदेश देने वाली सरकार स्वयं अब अपनी ही कंपनी की सेवाओं को लचर बनाने में पर्दे के पीछे खड़े नजर आ रहे है।

 

कही ऐसा तो नहीं की निजी कंपनियों को बढ़ावा देने के लिए या फिर भारत दूरसंचार सेवा को निजी हाथों में देने के कथित एजेंडे के कारण वह मौन धारण किए हुए है। यदि यहीं स्थिति रही तो इस विभाग का भगवान ही मालिक है,क्या होगा कुछ कहा नहीं जा सकता ? विभाग के अधिकारी,कर्मचारी कुछ बताने की स्थिति में नहीं है, जिसका खामियाजा राष्ट्रप्रेमी जनता भुगत रही है। जो भारत दूरसंचार सेवा को ही गले लगाए हुए हैं।

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