पाकिस्तानी हुक्मरानों की अपनी बोखलाहट पर तरस आना चाहिए : मेनन
भोपाल,। पाकिस्तान के हुक्मरानों की बालबुद्धि पर तरस ही खाया जाना चाहिए कि इतनी बड़बोली गर्जनाएं की जा रही हैं। जबकि पाकिस्तान को लक्षित करके न तो प्रधानमंत्री ने कोई बयान दिया और न भारत के रक्षामंत्री अथवा अधिकृत प्रवक्ता ने कोई बयान दिया है। यह बात भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश संगठन महामंत्री अरविंद मेनन ने कही । उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और गृहमंत्री साथ ही पूर्व जनरल और राष्ट्रपति मसर्रफ भी गर्जने लगे कि पाकिस्तान को म्यांमार नहीं समझा जाना चाहिए। ‘सूत न कपास जुलाहो से लठ्म लठ्ठा’ की कहावत पाकिस्तान चरितार्थ करके अपना अपराध बोध ही जग जाहिर कर रहा है, लेकिन यह बात भी सब समझते है कि पाकिस्तान के हुक्मरानों की ऐसे निरर्थक और भडक़ाऊ बयान देना और भारत विरोध जताना अपने वजूद को कायम रखने की मजबूरी है।उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी हुक्मरानों की बोखलाहट के दो स्पष्ट कारण हैं। उन्होंने म्यांमार में किये गये भारतीय सेना के हारपरस्युट से समझ लिया है कि भारत में श्री नरेंद्र मोदी सरकार अब आतंकवादी घटनाओं को बर्दाश्त करने वाली नहीं है। इसमें पाकिस्तान को यह भी अंदेशा है कि भारत के पूर्वोत्तर में आतंकवाद की चिन्गारी में पाकिस्तान की मिली भगत भी भारत को पता चल चुकी है, जिसका खामियाजा पाकिस्तान को भुगतना पड़ सकता है। पाकिस्तान को यह भी अपराध बोध सताने लगा है कि भारत में खारिस्तानी मूव्हमेंट और जम्मूकश्मीर में पाक सीमा से आतंकी हमले की बात उजागर हो गई है, जिसका अंजाम भी उसे भुगतना पड़ सकता है। श्री मेनन ने कहा कि इक्कीसवीं सदी में रहने का पाकिस्तान को अहसास होना चाहिए। पाकिस्तान में मुसलिम आबादी जितनी है उससे अधिक मुसलिम आबादी भारत में है तथा यहा विविधतावादी संस्कृति में सभी अधिकारपूर्वक रह रहे हैं, कही कोई फसाद, झगड़ा नहीं है, लेकिन जिस तरह नफरत, फिरकापरस्ती का आलम पाकिस्तान में हैं, वहा न तो अल्पसंख्यकों को सकून मिल पाया है और न मुसलमानों को क्योंकि वहा भी मुसलमानों में पहले नंबर और दोयम नंबर की भावना ने अशांति को जन्म दिया है, आये दिन बम विस्फोट हो रहे हैं। पाकिस्तान की इस परस्पर नफरत ने पूर्वी पाकिस्तान को तोड़ डाला और बंगला देश का उदय हुआ है।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने सिनेट में जिस तरह का प्रस्ताव पारित कर भारत की निन्दा की है वह न केवल निन्दनीय है अपितु कूटनीतिक दृष्टि से पाकिस्तान के हुक्मरानों की बचकानी हरकत बन गई है, जिसकी चारों ओर आलोचना हो रही है। किसी भी देश की संसद इतने निम्न स्तर पर पहुंचेगी यह भी हैरत की बात है।