गोवा के विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद सरकार बनाने में विफल रही कांग्रेस ने इस मामले को लेकर शुक्रवार को संसद में खूब हंगामा किया. इस हंगामे के कारण राज्यसभा की कार्यवाही कई बार स्थगित करनी पड़ी. और इस पूरे घटनाक्रम में राज्यपाल की भूमिका पर भी सवाल उठाए.
पहले सुप्रीम कोर्ट से झटका, फिर विधानसभा में शक्तिपरीक्षण में हार और अब राज्यसभा में हंगामा । गोवा के मसले पर कांग्रेस को एक के बाद एक मिल रही मात के बाद भी कांग्रेस समझने का नाम नहीं ले रही और शुक्रवार को पार्टी ने इस मसले पर राज्यसभा में जमकर हंगामा किया।

सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद सरकार बनाने में नाकाम रहने को लेकर पार्टी में भीतर ही निशाने पर आए कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने शुक्रवार को यह मसला राज्यसभा में उठाया, जिसके चलते खूब हंगामा हुआ। उन्होंने पूरे घटनाक्रम में राज्यपाल की भूमिका पर भी सवाल उठाए और इस मसले पर चर्चा की मांग रखी।

जवाब में सरकार ने कहा कि वो चर्चा को तैयार है, अगर इस पर मूल प्रस्ताव लाया जाए। उपसभापति ने भी कहा कि राज्यपाल के आचरण पर चर्चा तभी हो सकती है जब मूल प्रस्ताव लाया जाए। इसके बाद कांग्रेस सांसदों ने जोरदार नारेबाजी शुरू कर दी जिसके चलते सदन की कार्यवाही को 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।

गौरतलब है कि गुरुवार को गोवा विधानसभा में शक्तिपरीक्षण के दौरान मनोहर पर्रिकर को 22 वोट मिले जबकि विरोध में सिर्फ 16 वोट पडे। इस दौरान कांग्रेस के एक विधायक विश्वजीत राणे गैर हाजिर रहे। बाद में उन्होंने न केवल विधानसभा बल्कि पार्टी से भी इस्तीफा दे दिया।

पार्टी के कई विधायकों ने गोवा के मसले पर पार्टी आलाकमान की भूमिका पर सवाल खडे किए हैं। शक्ति परीक्षण में मिली हार और अपने ही विधायकों की बगावत के बावजूद कांग्रेस अब संसद में इस मसले पर हंगामा कर रही है। सरकार ने कांग्रेस की भूमिका पर तीखी आपत्ति की है।

गोवा में बीजेपी सरकार बन गई और सीएम मनोहर पर्रिकर ने विधानसभा में बहुमत भी साबित कर दिया, लेकिन इस पर मचा बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। लोकतंत्र में हार जीत लगी रहती है लेकिन उसे स्वीकार न कर हंगामा करना संसदीय व्यवस्था का अपमान ही माना जाएगा।

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