देश के बुनकर हथकरघा क्षेत्र से मुंह मोड़ रहे हैं और इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि बुनकरों को यह घाटे का सौदा महसूस हो रहा है और उनकी आय कम होती जा रही है।
केंद्र सरकार ने आज इस सचाई को स्वीकार करते हुए बताया कि देश के बुनकर हथकरघा क्षेत्र से दूर होते जा रहे हैं क्योंकि उन्हें इससे जरूरी आय प्राप्त नहीं हो रही है और इसके चलते बुनकरों के परिवारों की भावी पीढ़ियां भी इस क्षेत्र में आने की इच्छुक नहीं हैं।
वस्त्र राज्य मंत्री संतोष गंगवार ने लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान सदस्यों के सवालों के जवाब में बताया कि इस क्षेत्र पर प्रधानमंत्री ने विशेष रूचि ली है और बुनकरों के लिए एक योजना तैयार की गयी है।
उन्होंने बताया कि इस योजना का मकसद है कि बुनकरों की आय में वृद्धि हो और उन्हें कम से कम 500 रूपया प्रतिदिन की आमदनी हो। उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र को विशेष महत्व देने की बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सरकार ने सात अगस्त को ‘राष्ट्रीय हथकरघा दिवस’ घोषित किया गया है। उसी दिन इंडिया हैंडलूम बोर्ड का भी शुभारंभ किया गया जिसके अच्छे परिणाम मिलने शुरू हो गए हैं।
गंगवार ने बताया कि हथकरघा क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए एक कलस्टर को दी जाने वाली धनराशि को 60 लाख रू से बढ़ाकर दो करोड़ रूपया कर दिया गया है। इसी प्रकार मुद्रा योजना के तहत हथकरघा बुनकर रिण की सीमा को भी 23 से बढ़ाकर 50 हजार रूपये किया गया है।
( Source – पीटीआई-भाषा )