केंद्र ने न्यायालय को बताया: एनजीओ के नियमन संबंधी कानून बनाने की प्रक्रिया जारी
केंद्र ने न्यायालय को बताया: एनजीओ के नियमन संबंधी कानून बनाने की प्रक्रिया जारी

केंद्र ने आज उच्चतम न्यायालय को बताया कि वह देश भर में गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) की गतिविधियों के नियमन संबंधी कानून को बनाने समेत नीति संबंधी अंतिम निर्णय लेने की प्रक्रिया में है।

प्रधान न्यायाधीश जे एस खेहर एवं न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने केंद्र की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के बयान पर विचार किया और मामले की आगे की सुनवाई के लिए 21 अगस्त की तारीख तय की।

पीठ ने कहा कि ऐसा लगता है कि केंद्र इस मामले पर कोई कानून बनाने वाला है।

एएसजी ने एनजीओ की गतिविधियों के नियमन के लिए सरकार द्वारा उठाए जाने वाले संभावित कदम के बारे में अदालत को जानकारी देने के लिए और समय मांगा।

वकील एम एल शर्मा ने जनहित याचिका दायर करके एनजीओ की वित्तीय गतिविधियों समेत अन्य गतिविधियों के नियमन की मांग की थी।

इससे पहले न्यायालय ने केंद्र सरकार की संस्था कपार्ट से इस बारे में जानकारी देने को कहा था कि एनजीओ को नियमित करने, उन्हें धन दिये जाने और उनके खिलाफ कार्यवाहियों के संदर्भ में एक कानून बनाने पर विचार करने के उसके निर्देश का पालन करते हुए क्या कदम उठाये गये हैं।

न्यायालय ने लोक कार्यक्रम और ग्रामीण प्रौद्योगिकी विकास परिषद (कपार्ट) से 26 अप्रैल के अपने आदेश पर की गयी कार्रवाई पर हलफनामा मांगा था। इस आदेश में शीर्ष अदालत की पीठ ने सुझाव दिया था कि केंद्र सरकार को सरकारी धन का दुरुपयोग करते पाये गये एनजीओ या स्वैच्छिक संगठनों पर मुकदमा चलाने पर विचार करना चाहिए।

ग्रामीण विकास मंत्रालय के तहत काम करने वाले और ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने वाले स्वैच्छिक संगठनों को धन देने वाले कपार्ट ने पहले शीर्ष अदालत को इस बात से अवगत कराया था कि उसने धन के कथित दुरुपयोग के मामले में विभिन्न एनजीओ के खिलाफ 159 प्राथमिकियां दर्ज करने की सिफारिश की है।

( Source – PTI )

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