मानसिक रोगियों के पुनर्वास के लिए दिशानिर्देश जरूरी: न्यायालय
मानसिक रोगियों के पुनर्वास के लिए दिशानिर्देश जरूरी: न्यायालय

उच्चतम न्यायालय ने मानसिक रोग से निजात पा चुके व्यक्तियों के पुनर्वास के लिये दिशानिर्देश तैयार करने का निर्देश केन्द्र को देते हुये टिप्पणी की कि यह ‘बेहद संवेदनशील’ मुद्दा है।

प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर, न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने टिप्पणी की कि मानसिक रोगी जब उपचार से ठीक हो जाता है तो उसके परिवार के सदस्य भी उसे घर वापस नहीं लाना चाहते हैं।

पीठ ने कहा,‘‘ यह बहुत, बहुत संवेदनशील मुद्दा है। आपको :केन्द्र: आपको इस ओर ध्यान देना चाहिए। कोई इंसान मानसिक रोग चिकित्सालय जाता है और उपचार के बाद वह ठीक हो जाता है, उसे घर वापस ले जाने के लिए कोई तैयार नहीं होता। आपको :केन्द्र: इस बारे में सोचना चाहिए।’’ न्यायालय ने केन्द्र की ओर से पेश सॉलीसिटर जनरल रंजीत कुमार से कहा कि बीमारी से पूरी तरह ठीक हो चुके व्यक्ति को सरकार मानसिक रोगी अस्पताल अथवा नर्सिंग होम में बने रहने देने की इजाजत नहीं दे सकती। पीठ ने कहा,‘‘ उन्हें समाज में वापस लाया जाना चाहिए। आनको इसके लिये नीति बनानी पडेगी।’’ शीर्ष अदालत ने केन्द्र सरकार से कहा,‘‘ इसे बेहद आसानी से हासिल किया जा सकता है, आप हमें योजना का नमूना दीजिए। हम इसे राज्य सरकारों के समक्ष रखेंगे और उनकी राय लेंगे। हमें एक योजना दीजिए।’’ सॉलीसिटर जनरल ने हालांकि पीठ से कहा कि उन्हें कुछ वक्त चाहिए क्योंकि दो मंत्रालय.स्वास्थ्य मंत्रालय और सामाजिक न्याय मंत्रालय. इस प्रक्रिया से जुड़े हैं। इस पर न्यायालय ने केन्द्र सरकार को इसके लिए आठ सप्ताह का वक्त दे दिया।

( Source – PTI )

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *