सर्टिफिकेट में नाम परिवर्तन की याचिका पर उच्च न्यायालय ने सीबीएसई से जवाब मांगा
सर्टिफिकेट में नाम परिवर्तन की याचिका पर उच्च न्यायालय ने सीबीएसई से जवाब मांगा

दिल्ली उच्च न्यायालय ने सीबीएसई से यह जवाब मांगा है कि उसने नाम बदल चुकी एक लड़की को नया सर्टिफिकेट क्यों नहीं जारी किया, जबकि उसका पासपोर्ट, पैन कार्ड और आधार उसके नए नाम पर जारी किया गया है।

लड़की की याचिका पर न्यायमूर्ति वी कामेश्वर राव ने मानव संसाधान विकास मंत्रालय और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड :सीबीएसई: को नोटिस जारी करते हुए उनसे छह जनवरी, 2017 तक जवाब मांगा।

अपनी याचिका में लड़की ने 23 जून के सीबीएसई के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें सीबीएसई ने नए नाम पर 10वीं और 12वीं के नए सर्टिफिकेट जारी करने के उसके अनुरोध को खारिज कर दिया था।

जून 2015 में सीबीएसई की परीक्षा संबंधी उपनियमों में किए गए संशोधन को भी उसने चुनौती दी, जिसके अनुसार नाम या उपनाम में परिवर्तन पर विचार किया जा सकता है बशर्ते नाम परिवर्तन के संबंध में दी गई सूचना को कानूनी स्वीकृति मिली हो और उम्मीदवार के नतीजे प्रकाशित होने से पहले वह सरकारी राजपत्र में अधिसूचित किया गया हो।

वकील सत्य रंजन स्वेन और आकाश वाजपेयी की ओर से दायर याचिका में लड़की ने कहा कि वह विदेश में आगे पढ़ाई करना चाहती थी और दाखिले के वक्त छात्रवृत्ति के लिए आवेदन करते समय उसे 10वीं और 12वीं का सर्टिफिकेट जमा कराना था।

याचिका में कहा गया, ‘‘लेकिन इन सर्टिफिकेट में उसके पुराने नाम थे, इसलिए याचिकाकर्ता ने नाम परिवर्तन और परिवर्तित नाम पर नया सर्टिफिकेट जारी करने के लिए सीबीएसई में आवेदन किया था।’’ लड़की ने अपनी याचिका में यह दलील दी कि जीवन जीने के अधिकार में नाम रखने, नाम में परिवर्तन और सबसे महत्वपूर्ण अपनी मर्जी से नाम रखने का अधिकार शामिल है।

याचिका में कहा गया कि यह संशोधन संविधान की ‘‘समानता के अनुच्छेद के विपरीत’’ है।

( Source –  )

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *