राजस्थान में दस हजार स्कूल खोले जायेंगे
राजस्थान में दस हजार स्कूल खोले जायेंगे

राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा कि शिक्षा से सभी बुराईयां रोकी जा सकती है और दुनिया के सभी अमीर देश बच्चों को शिक्षित करने के प्रयास में जुटे हुए है।

राजे ने आज अजमेर के आजाद पार्क में जनसमुदाय को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्रदेश में दस हजार स्कूल खोले जायेंगे। महिलाएं भी चाहती है कि उनके बच्चे पढ लिखकर आगे बढे।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में जिन स्थानों पर पहुंचना मुश्किल था वहां अब एकल विद्यालय शुरू हो जाने से स्थिति बदल गयी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा के साथ संस्कृति को जोडने का जो प्रयास किया गया वह सराहनीय है, क्यांेकि शिक्षा बिना संस्कृति के कुछ भी नहीं है। अगर हम शिक्षित है और हमारे देश, प्रदेश और परिवार की संस्कृति हमारे रग रग में नहीं है तो हम विफल है और दुनिया में हिन्दुस्तान संस्कृति की वजह से आगे दिखता है। हम चाहते है कि हमारे छोटे बच्चों में संस्कृति दिखाई दे, उन्हें इतिहास के बारे में ज्ञान हो।

उन्होंने कहा कि 2015-16 में शिक्षा के जरिये 15 लाख बच्चों को लाभान्वित किया जायेगा। बच्चे शिक्षित होकर नई क्रांति लेकर आयेंगे। राजे ने कहा कि संविधान के निर्माता अम्बेडकर ने कहा था कि शिक्षा एक ऐसा शस्त्र है, जो जीवन की सारी कठिनाईयों का निवारण कर देता है। राजस्थान में ग्राम पंचायत स्तर दस हजार स्कूल बनाये जायेंगे। हर ग्राम पंचायत पर ऐसा स्कूल हो, जिसमें पढाने के साथ साथ खेल खिलाये जाये और कम्प्यूटर भी सिखाये जाये। आने वाले समय में इन दस हजार स्कूलों के जरिये शिक्षा के क्षेत्र में राजस्थान बहुत आगे निकल सकता है।

इससे पूर्व राजे ने पुष्कर में ‘रोप वे’ का उद्घाटन करते हुए कहा कि पुष्कर को आने वाले दिनों में और सुंदर बनाया जायेगा।

( Source – पीटीआई-भाषा )

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  1. बहुत समय से मैं प्रवक्ता.कॉम पर प्रस्तुत समाचार, राजनैतिक एवं सामाजिक निबंध, व अन्य रचनाएं पढ़ रहा हूँ और इस लम्बे साहचर्य के कारण यहाँ पत्रकारिता में गुणवत्ता की अपेक्षा करता हूँ| राजस्थान में विद्या को लेकर पीटीआई-भाषा से लिया “इसने कहा” “उसने कहा” का इश्तिहार मुझे किसी प्रकार प्रभावित नहीं करता है अपितु प्रदेश में इस क्षेत्र में कार्यरत अधिकारी-तंत्र व अन्य संसाधनों की उपयुक्तता अथवा उनमें हो रहे किसी प्रकार के परिवर्तन व विकास की जिज्ञासा मुझे बेचैन किये हुए है| कभी कभी सोचता हूँ कि अधिकांश भारतीयों में निरक्षरता और फलस्वरूप उनमें अज्ञान के कारण उन्हें देश में हो रही प्रगति को शब्दों में नहीं, चित्रों में दिखाना चाहिए| पत्रकारिता को “चित्रकारिता” में बदलने से “इसने कहा” “उसने कहा” केवल कार्यालय में सीमित रह नागरिकों को समय बीतते धीरे धीरे “दस हज़ार स्कूल” प्रत्यक्ष दिखाई देंगे! तिस पर भारतीयों में विद्या व विवेक जागृत करने हेतु शब्द रचना को भी नहीं भूलना चाहिए| इस लिए ऐसे समाचार पर विश्लेषणात्मक टिप्पणी द्वारा पत्रकारिता की गुणवत्ता को भी बढ़ाना होगा| सभ्य देशों में ऐसा कुछ ही होता है|