1417332283757सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यादव सिंह केस की सुनवाई स्थगित
इलाहाबाद,। सुप्रीम कोर्ट द्वारा बीते बृहस्पतिवार को यादव सिंह के करोड़ों के फर्जीवाडे़ की सीबीआई से जांच कराने को लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय में चल रही सुनवाई पर रोक लगा देने पर आज हाईकोर्ट ने इस मामले को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई स्थगित कर दी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोएडा के पूर्व मुख्य अभियंता एवं यमुना एक्सप्रेस वे के प्रभारी यादव सिंह के खिलाफ सीबीआई से जांच कराने की मांग में दाखिल याचिका पर राज्य सरकार से 15 जून को जानकारी मांगी थी। कोर्ट ने पूछा था कि सरकार बताये कि इस करोड़ोें के फर्जीवाडे की सीबीआई से जांच क्यों न करायी जाए। प्रथम दृष्टया कोर्ट इस प्रकरण की सीबीआई से जांच कराने के पक्ष में थी। यही कारण था कि कोर्ट ने सरकार को 19 जून तक का मौका दिया था कि वह बताये कि कोर्ट ऐसा आदेश क्यों न करें। याचिका आज सुनवाई होनी थी परन्तु सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनवाई पर रोक लगा देने के चलते हाईकोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी।यह आदेश न्यायमूर्ति अरूण टंडन तथा न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल की खण्डपीठ ने मऊ के निवासी जितेन्द्र कुमार गोयल अध्यक्ष बोधिसत्व समाज सेवा संस्थान की जनहित याचिका पर दिया। याची का कहना था कि यादव सिंह ने 9 सौ करोड़ से अधिक की सम्पत्ति अर्जित की है। आयकर विभाग के छापे में दिल्ली और गाजियाबाद में बीस मकान, दस करोड़ के आयकर की चोरी, एक कार, 20 किलो जेवर सहित 40 फर्जी कंपनियां जिनमें से 35 के कोलकाता में होने का खुलासा हुआ है। इसकी जांच सीबीसीआईडी कर रही है। इंटरपोल से रेड कार्नर नोटिस भी जारी की जा चुकी है। याची का यह भी कहना था कि एसआईटी ने जांच के बाद विस्तृत जांच सीबीआई से कराने की संस्तुति भी की है। याचिका के अनुसार यादव सिंह के इस गोरखधंधे में उत्तर प्रदेश के एक प्रमुख नेता व संसद सदस्य के पुत्र के भी शामिल होने की बात कही गयी है।

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