मृत्युंजय दीक्षित
भारत असीम राजनैतिक संभावनाओं का देश है । विगत 14 मई 2014 को देश की जनता ने राजग गठबंधन को पूर्ण बहुमत देकर दंश का वास्तविक विकास करने के लिए सत्ता सौंपी है। लेकिन यह देश का दुर्भाग्य है कि जब कोई भी चुनाव परिणाम आता है तब पराजित विपक्ष कहता है कि जनता का आदेश स्वीकार है लेकिन इस बार तो देश में विपरीत धारा सी बहने लग गयी है। राज्यसभा में राजग सरकार का बहूमत न होने का लाभ विपक्ष इस प्रकार से उठा रहा है कि जैसे देश में उनकी पराजय न हुई हो। राज्यसभा में सभी विरोधी पाटियां जिस प्रकार का सौतेला निर्लज्ज व्यवहार सदन में कर रही है। और जिस प्रकार से सदन की कार्यवाही को किसी न किसी बहाने बाधित करने का प्रयास कर रही हैं इससे वह केवल देष के जनमानस को निराशा ही बांट रही हैं। संसद के शीतकालीन सत्र का आधिकांश समय भी किसी न किसी बहाने हंगामें की भेंट चढ़ता जा रहा है।
विगत सप्ताह राज्यसभा में वी के सिंह प्रकरण व संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयानों को लेकर सदन को ठप करने की साजिश रची जाती रही । कारण साफ है कि यह सभी दल जातिवाद, क्षेत्रवाद और वंशवाद की राजनति में इतने अधिक अंधें और स्वार्थी हो चुके हैं कि इन सभी हंगामेबाज दलों को केवल सदन की कार्यवाही ठप करके पीएम मोदी और उनकी सरकार को तानाशाह घोषित करने में ही बढ़ा मजा आ रहा है और उन्हें इसमें अपना सियासी लाभ भी नजर आ रहा है। यह बात सही है कि आज की तारीख में गांधी परिवार की विभिन्न मामलों में देश की अदालतों में आने वाले समय में मुश्किलें बढ़नें वाली हैं। लिहाजा अपने ऊपर चल रहे आपरिाधक मुकदमों से जनता का ध्यान हटवाने व मोदी सरकार को तानाशाह व पीएम मोदी को झूठा व धोखेबाज साबित करने के लिए कांग्रेस व विपक्ष नित नये हथकंडे अपना रहा है। अभी दिल्ली हाईकोर्ट ने नेश्शनल हेराल्ड प्रकरण में सोनिया व राहुल को अदलत में पेश होन के लिए कहा है। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चला गया है। सोनिया राहुुल की अगली पेशी की तारीख 19 दिसम्बर लगा दी गयी है। वहीं दूसरी ओर सोनिया के दामाद की मुश्किलें भी बढ़ती जा रही हैं वहीं सुब्रमण्यम स्वामी दावा कर रहे हैं कि राहुल गांधी के पास दोहरी नागरिकता है तथा वह इस मामलें मेंं जल्द ही और सबूत पेश करने वाले हैं तथा जिसके कारण उनकी नागरिकता और संसद सदस्यता भी जा सकती है। यही कारण है कि आज मन ही मन गांधी परिवार में दहशत का वातावरण तो हो ही गया है।
वहीं दूसरी ओर राहुल गांधी येनकेन प्रकारेण मोदी सरकार को घेरने के चक्कर में सरकार व पीएम मोदी पर बेसिरपैर के आरोप लगा रहे हैं और देश की जनता को तात्कालिक ओछे लाभ के लिए भड़काने का प्रयास कर रहे हैं इसमें वे कुछ हद तक सफल भी हो गये हैं। लेकिन यह अधिक दिनों तक नहीं चलने वाला है। गांधी परिवार की नकारात्मक राजनैतिक बल्लेबाजी भविष्य में उसी प्रकार से डूब सकती है जिस प्रकार से हाशिम अमला और डीविलयर्स की नकारात्मक बल्लेबाजी से दक्षिण अफ्रीका की टीम नतमस्तक हो गयी। नेशनल हेराल्ड प्रकरण के दौरान जब विपक्ष ने संदन की कार्यवाही ठप की तो सरकार पर तानाशाही रवैया अपनाने का आरोप लगाया। जबकि सबसे मतेदार बात तो यह है कि देरूा में बसे अधिक तानाशाही रवैया गांधी परिवार का ही रहा है तथा उसकी तानाशाही का ही परिणाम है कि आज देश की संसद उसके हाथ की बंधक हो गयी है। देश में आपातकाल किसने लगाया? राजीव गांधी हत्याकांड के बाद सिखों का नरसंहार किसने करवाया? 6 दिसम्बर 1992 की घटना के बाद भाजपा शासित राज्यों की सरकरों को एक ही झटके मेें किसने बर्खास्त करवाया? बोफोर्स घोटाले व भोपाल गैस त्रासदी के आरोपी को किस परिवार ने भगया। अगर सोनिया गांधी अपने आप को नेहरू- इंदिरा की मानतीे हैं तांे फिर उनके पापों के लिए व अपने पापों के लिए देश की जनता से माफी क्यों नहीं मानती।असली तानाशाह तो गांधी परिवार है गांधी परिवार। गांधी परिवार ने ही सत्ता का सर्वाधिक दुरूपयोग किया है और आज जब उनके हाथसे सत्ता जा चुकी है तथा जल्दी मिलने वाली नहीं हैं त बवह मोदी जी व उनकी सरकार को तानाशाह कह रहे हैं। यदि सोनिया- राहुल ने अब तक कोई गलती नहीं की है तो वह दोनों अदालत का बिना किसी भय के सामना करें।
राहुल गांधी ने आज की तारीख में देश की जनता को बेवकूफ बनाने और झूठे आंकड़ों के आधार पर भाषणबाजी करने और पीएम मेादी को अपमानित करने का रेडियो बजा रखा है।।कभी भूमि अधिग्रहण के नाम पर, कभी दलितों और असहिष्णुता के नाम पर,अब उन्होंने मजदूरों को भी बरगलाना प्रारम्भ कर दिया है। यह गांधी परिवार आज देश की राजनति के लिए सबसे बड़ा कलंक , निराशावादी और दिशाहीन तथा देश की राजनीति को अराजकताकी ओर ले जाने वाला परिवार बनता जा रहा है। यह बात अब सही लग रही है कि कांगे्रस पार्टी के बाकी नेता गांधी परिवार की चापलूसी में लगे है गांधी परिवार को बचाने में लगे हैं जबकि पीएम मोदी देश को बचाने में। दूसरी ओर अब समय आ गया है कि सरकार सभी मळत्वपूर्ण विधेयकों को पारित करवाने के लिए संसद का संयुक्त अधिवेशन बुलाये या फिर अध्यादेशों का भी सहारा लेकर सारे कानून लागू करवाकर काम को आगे बढ़ायंे अन्यथा यह तानाशाही व अहंकारी विपक्ष इसी प्राकर से किसी न किसी बहाने देश की जनता का काम बाधित करता रहेगा।
प्रेषकः- मृत्युंजय दीक्षित
‘आज तक’ की खबर का एक अंश”कांग्रेस नेताओं ने इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधा और कहा कि यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान पांच वर्षों तक गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री जो अब देश के प्रधानमंत्री हैं, के विरोध के कारण यह विधेयक पारित नहीं हो पाया था.”
यह वक्तव्य जी.एस.टी.के बारे में है.क्या कांग्रेस गलत है?
पहले सत्ता धारी पार्टी और उसके समर्थक अपने गरेबाँ में तो झांके. फिर विपक्ष को दोषी ठहराएं.आज कांग्रेस वही कर रही है,जो भाजपा ने विपक्ष में रहते हुए किया था न तब भाजपा को संसद चलने देने में कोई अभिरूचि थी और न आज कांग्रेस को है.शायद भाजपा ने तब सोचा ही नहीं था कि वे भी सत्ता में आ सकती है. राष्ट्र गया भाड़ में.यह लिंक देखिये : https://www.rediff.com/news/slide-show/slide-show-1-we-are-in-no-mood-to-allow-parliament-to-work-bjp/20120825.htm?sc_cid=fbshare
कांग्रेस ने निर्लज्जता की सारी हदें तोड़ दी, हमने काम किया नही तुझे भी काम नही करने देंगे वाली स्थिति में है।