उसको शिकवा है उसको समझा नहीं,
उसके बारे में मैंने तो सोचा नहीं।
क़र्ज़ के वास्ते देश भी बेच दो,
तुमने तारीख़ से कुछ भी सीखा नहीं।
आईना तोड़कर आप धोखे में हैं,
अपने चेहरे के दाग़ों को देखा नहीं।
ज़िंदगी तल्खि़यों से बचा लीजिये,
आजकल ज़िंदगी का भरोसा नहीं।
सच्चाइयों का छलनी बदन देख रहा हूैं…..
जलता हुआ मैं अपना वतन देख रहा हूं,
माली के हाथ लुटता चमन देख रहा हूं।
फ़ौलादी सीना चाहिये सच बोलने को आज,
सच्चाइयों का छलनी बदन देख रहा हूं।
उसने प्यार भरके नज़र मुझपे डाल दी,
दिनभर की दूर होती थकन देख रहा हूं।
जब से किसी ग़रीब के मैं काम आ रहा,
कम होती अपने दिल की चुभन देख रहा हूं।।
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