-फखरे आलम- हे कोसी मैया तोरे आरती चढ़ेबो! हे कोसी मैया अगर आप शांत हो जाओगी, अपने उत्पाद और ताद्वव को छोड़ दोगी तो में तुम्हारी आरती करूंगी। गुड़, चावल, जलेबी, बताशा का प्रसाद चढ़ायेंगे। भय और खौफ का दूसरा नाम कोसी है। इसे अगर बिहार के शोक का नाम दिया गया है तो बिल्कुल सही नाम दिया गया है। वर्षभर में कोसी जनता ओर सरकार को जगाने का काम करती है। हिमालय से निकलकर भाया नेपाल बिहार के बीरपुर (सुपौल) बराज के रास्ते यह देवी, सुपौल, मधेपुरा, सहरसा, पूर्णिया, कटिहार, मधुबनी, दरभंगा और समस्तीपुर के रास्ते खगड़िया के लगभग सभी भागो को प्रभावित करते माता गंगा के शरण में जाते-जाते बंगाल की खाड़ी में समा जाती है। कोसी को नियंत्रित करने वाला एकलौता बराज (बीरपुर, सुपौल) में है। जो स्वतंत्रता के तुरंत पश्चात् भारत सरकार ने रूस की सहायता से भारत-नेपाल सीमा पर बनाया था। बड़े-बड़े बांधे से घेर कर कोसी को नियंत्रित करने का यह एकलौता प्रयास है। जिसे मैंने बचपन में सुपौल से दरभंगा की बस यात्रा के समय देखा था। किया समय था धनधैर घटाये, हिमालय से टकराकर बरसते बादल, हर दिशा में पानी ही पानी, तेज हवायें। सम्पूर्ण बीरपुर, इंजिनीयरों और कुशल भारत रूस के कर्मचारियों का आवास। कोसी के बड़े प्रोजेक्ट के कारण यह छोटा शहर अत्याचार आधुनिक था। बड़े-बड़े ठेकेदार, रोकनक वाले बाजार! अब तो बीरपुर, उजाड़ हो गया। केन्द्र ओर राजय सरकार ने कोसी प्रोजेक्ट को बन्द कर दिया। और इस प्रोजेक्ट के बंद करने का सेहरा लालू प्रसाद को जाता है। इस प्रोजेक्ट के बंद होने से दो बाते सामने आई एक तो कोसी का तांडव तेज हुआ। दूसरा बड़े पैमाने पर लोगों का रोजगार धीना और इस क्षेत्रा से पलायन बड़े पैमाने पर हुआ। वैसे यह क्षेत्र बिहार भर में नहीं, विश्व का सबसे पिछड़ा है जो वर्ष भर में छः महीनों तक जलमग्न ही रहता है। आज इस कोसी क्षेत्रा से एक दबी सी आवाज, पप्पू यादव की है इस क्षेत्रा ने नागार्जुन, रेणु, ललित नारायण मिश्रा जैसी शख्सियत दिये। यह वही प्रलय का स्थान है। जिस के लिये सहायता राशि नीतिश कुमार ने तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की राशि वापस लौटा दी थी। बड़े पैमाने पर बाढ़ सहायता राशि का दुरुपयोग हुआ था। राशि वापस लौटा दी थी। बड़े पैमाने पर बाढ़ सहायता राशि का दुरुपयोग हुआ था। विश्व भर से बाढ़ राहत कोष में और प्रधानमंत्री राहत कोष में बड़ी रकम आई थी। बड़े स्तर पर बंदरबांट हुआ और बाढ़ प्रभावित कोसी की जनता ने लूटखसोट अपने आंखों से देखा था। आज फिर से कोसी मुँह फाड़े, कोसी क्षेत्र की जनता को निगलने के लिये तत्पर है तो हमारे प्रधनमंत्री नेपाल की यात्रा पर बड़ी सहायता राशि की घोषणा कर रहे है। प्रधनमंत्राी ने भगवाना पशुपति से अवश्य ही आग्रह किया होगा कि वह बिहर और कोसी के निवासियों को बख्स दें। समस्त कोसी क्षेत्र सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक, रूप से पिछ़ा हुआ है। अटल जी ने कोसी के दोनों भागों को जोड़ने का काम किया था। मगर हैरत और अफसोस है कि स्वतंत्रता के पश्चात् कोसी के इस बड़े भाग के लिए कुछ नहीं हुआ। केन्द्र सरकार की पहल तो दूर, बिहार सरकार ने भी पक्षपात वाला व्यवहार करते हुए प्रदेश के इस क्षेत्र को नजरअंदाज किया। मखान, पटसन पैदा करने वाला यह क्षेत्र कोसी के द्वारा लाई गई उपजाऊ मिट्टी का क्षेत्र है। मगर, पटसन और भरवाना पैदा करने वाले किसान बेहाल है। सालों भर जलजमाव वाला यह विशाल क्षेत्र जिसके पास दो सौ से अधिक देशी मछलियों की प्रजातियां पाई जाती थीं। आज क्षेत्र में आयातित अच्छी का लोग सेवन करने लगे हैं। यह क्षेत्र के प्रति राज्य और केन्द्र सरकारों का रवैया। प्रदेश से होकर गंगा, सरयू, गण्डक, बागमती, कमला, सोन, पुनपुन, फल्गू जैसी नदियां बहती हैं। मगर कोसी का ताण्डव सरकारी योजनाओं और लापरवाही के कारण ही होता है। कोसी सात धराओं के मेल से, सुत कोसी, भोटिया कोसी, तांबा कोसी, लिखु कोसी, दूध् कोसी, अरुण कोसी और तांबर कोसी के मिलन से बड़ी तेज गति से प्रवाह करती है। इस नदी की खामियां कहिये के बड़े चौड़े क्षेत्र में प्रवाह करती है। कहीं, बहुत गहरी तो कही कम गहरी प्रभाव करती है जो गति के साथ साथ तेज प्रवाह उत्पन्न करती है। कोसी का वास्तविक ओर पौराणिक नाम- कौशिकी है। और धर्मिक रूप से कोसी का महत्व गंगा, यमुना, सरस्वती, कृष्णा, कावेरी और नर्मदा के समान है। मगर आज तक कोसी को लेकर न तो कोई आन्दोलन हुआ न कोई प्रदर्शन आन्दोलन के लिए मध्यवर्ग की आवश्यकता होती है और इस क्षेत्र में मध्यवर्ग के लोग नहीं रहते हैं। कोसी कभी देवी थी आज लोग इसे बिहार के शोक और अभिशाप के नाम से जानते है। हे मां कोसी आप क्यों नहीं किसी बड़े राजनेता, अधिकारी और सत्तासीन को बुलाते, दर्शन देते, मार्गदर्शन देते? कोसी मैया आप का उद्गम हिमालय की सबसे ऊंची चोटी, माउन्ट ऐवरेस्ट से है। भगवान शिव की आशीर्वाद आप के पास है। आप भी पटना और दिल्ली की सरकार को साक्षात दर्शन दीजिए और उन्हें अपने पास बुलाइये, उन्हें कोसी की दशा और दिशा से रूबरू करवाइये।