जुनूनी बाध्यकारी विकार(Obsessive Compulsive Disorder)

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Obsessive Compulsive Disorder OCD                                             

 [पूरे लेख मे इस विकार के लियें OCD का ही प्रयोग किया जायेगा  ]  

OCD एक व्याकुलता  [anxiety] संबधी विकार है, इसमे लगातार कोई विचार, बेचैंनी और डर पैदा करता है, जिससे पीड़ित  व्यक्ति किसी काम को बार बार करने की विवशता महसूस करता है। व्याकुलता मस्तिष्क का एक चेतावनी देने का तरीका है। व्याकुल व्यक्ति को किसी ख़तरे की आशंका रहती है, यह एक ऐसा संवेंग है जो व्यक्ति से लगातार कहता है कि ‘कुछ करो’।यद्यपि यह पता होता है कि ये ख़तरा बेबुनियाद है फिर भी मन आशंकित रहता है। पीडित व्यक्ति यही सोचता है कि उसका मन उससे ग़लत क्यों कहेगा।  दुर्भाग्यवश OCD से पीडित व्यक्ति का मस्तिष्क ख़तरे की घंटी जब ख़तरा न भी हो तब भी बजाता रहता है, अतः पीड़ित व्यक्ति बाध्य महसूस करता है, प्रतिक्रयास्वरूप कुछ करने के लियें।

लक्षण

यह बाध्यतायें [compulsions] कई प्रकार की हो सकती हैं  जैसे सफाई का जरूरत से ज्यादा ध्यान, बार बार हाथ धोना, बार बार ताले देखना,   गैस बन्द है या नही देखते रहना,   किसी एक विचार मे उलझे रहना,  कोई अनुष्ठान या क्रियाकलाप बार बार करना या करने के लिये विवशता अनुभव करना इस रोग के प्रमुख  लक्षण होते हैं। कभी कभी ये बाध्य व्यवहार हिंसक भी हो सकता है। ये बाध्यता किसी पर शक  करने की भी हो सकती है।   ऐसा व्यवहार पूर्णरूप से मानसिक रोग का रूप ले सकता है। यह किसी भी आयु मे हो  सकता है व्यक्ति समय की इतनी बर्बादी कर देता है कि वह कोई काम ठीक से नहीं कर पाता, इससे वह और परेशान होता है, व्याकुल  होता है, पर स्वयं को रोक नहीं पाता।

कुछ लोग अति सतर्क, हर काम को पूरी तरह से दोष रहित (perfect) करने के लियें बार बार उसको करते हैं , उन्हे आसानी से तसल्ली भी नहीं होती। यह   OCD का लक्षण होता है OCD से ग्रस्त लोगों के  तर्क रहित व्यवहार के बावजूद उनका बौद्धिक स्तर आमतौर पर अच्छा होता है, वो निर्णय लेने मे समय अधिक लगाते हैं,  कोई भी काम की ज़िम्मेदारी पूरी निष्ठा के साथ लेते हैं, उसे पूरा करने की हर कोशशि भी करते हैं, पर अपनी बाध्यताओं,  पुनरावृत्तियों और काम की बारीकियों को समझ के करने के कारण कोई काम पूरा करने मे समय बहुत लेते है, कभी कभी काम पूरा हो  ही नहीं पाता।

जुनून [obsession] पीडित व्यक्ति के विचारों के स्तर पर मस्तिष्क को घेरे रहता है, एक ही जगह विचार अटक जाते हैं,  हो सकता है किसी देवता की प्रतिमा विचारों का केन्द्र बन जाये, किसी व्यक्ति के प्रति कोई भी संवेग हर समय हावी रहे  चाहें वह प्रेम हो, घृणा, या व्यक्ति सैक्स से संबधित विचारों से अपने को न निकाल सके,  या सफाई का भूत सर पर सवार हो या  हिंसा और बदले के विचारों मे ही हर समय लिप्त रहता हो । किसी भी विचार को मन से निकालना असंभव हो तो वो जुनून ही होता है।

जुनून से बाध्यता होती है, हर समय प्रार्थना पूजा पाठ करने की, बार बार हाथ धोने की, धुले हुए बर्तन या कपड़े  बार बार धोने की, सैक्स के जुनून से पीड़ित व्यक्ति समाज के लियें ख़तरा बन सकता है,  परिवार के किसी सदस्य के साथ भी अनाचार कर सकता है। हिंसक जुनून से ग्रस्त व्यक्ति मौक़ा मिलने पर कुछ भी कर सकता है।

OCD   से पीड़ित व्यक्ति को अपने बाध्य व्यवहार पर कोई नियंत्रण नहीं होता, वह   कितनी भी बार करले संतुष्ठ नहीं होता उसकी व्याकुलता और बेचैंनी बनी रहती है।  किसी भी अन्य रोगों की तरह इस विकार के लक्षण मामूली तीव्र या अति तीव्र हो भी हो सकते हैं, इसलियें इसका निदान कोई कुशल मनोचिकित्सक ही कर सकता है। लक्षण जब मामूली हों तो उपचार का असर जल्दी होने की आशा होती है।

OCD   से ग्रस्त व्यक्ति जानता है कि उसकी व्याकुलता और बाध्यता का कोई आधार नहीं है, फिर भी वह अपने को रोक नहीं पाता, न रोक पाने से व्याकुलता और बढती जाती है। OCD के समान ही एक अन्य स्थिति होती है जब पीडत व्यक्ति अपने जुनूनी व्यवहार और बाध्यताओं को सही और तर्कसंगत मानता है।   इसे जुनूनी बाध्यकारी व्यक्तित्व विकार (Obsessive Compulsive Personality Disorder) या OCPD कहते हैं। OCPD  से पीड़ित  लोग क्योंकि अपने व्यवहार को सामान्य समझते हैं, इसलियें आमतौर पर अपने व्यवहार से ख़ुशी प्राप्त करते हैं।

कारण

मस्तिष्क पर हुई शोधों के आधार पर पता चला है कि OCD  से पीड़ित कुछ व्यक्तियों में मस्तिष्क के बाहरी हिस्से और भीतरी संरचना के बीच संचार की कमी पाई गई है। कई बार देखा गया है कि  यह परिवार में कई लोगों को होता है, अतः यह अनुवाँशिक भी हो सकता है, जिसके लियें कोई जीन ज़िम्मेदार हो  । सही सही जानकारी के लियें तो और शोध की आवश्यकता है।  अभी तो यही मानकर चला जाता है कि कुछ मस्तिष्क की बनावट, कुछ जीन और कुछ जीवन की विषमताओं से पैदा तनावों के मिले जुले कारणों की वजह से  OCD होता है।

निदान में कठिनाइयाँ

OCD के लक्षणों को पहचानने के बाद भी लोग शर्मिन्दगी महसूस करते है और इलाज के लियें आगे नहीं आते, आ भी जाते हैं तो मनोचिक्त्सक से खुलकर बात करने मे हिचकिचाते हैं। इस मनोविकार के बारे में लोगों में जानकारी और जागरूकता का बहुत अभाव है। इस मनोविकार से मिलते जुलते लक्षण कुछ और मनोविकारों में भी होते हैं अतः सही निदान के लिये एक से अधिक अनुभवी मनोचिकित्सक की सलाह लेना अच्छा रहता है।

उपचार

OCD के निदान होने के बाद मनोचिकित्सक दवाइयाँ देते हैं जिनकी मात्रा में फेर बदल करने की आवश्यकता पड़ सकती है, एक दवाई काम न करे तो दूसरी बदल कर देनी पड़ सकती है, इसलियें मानसिक रोगों का इलाज कराते समय धैर्य की ज़रूरत होती है।

केवल दवाइयाँ ही कारगर नहीं होती व्यावाहरिक चिकित्सा भी दी जाती है।  बाध्यता को रोकने और उससे उत्पन्न  व्याकुलता को सहने के लियें प्रशिक्षित किया जाता है , उदाहरण के लियें जो व्यक्ति 15-15 मिनट में हाथ धोता हो उसे कहा जायेगा कि आधे घन्टे तक हाथ नहीं धोने हैं। पीड़ित व्यक्ति बेचैन होगा पर उसे बार बार कहना पड़ेगा कि ‘’हाथ न धोने से कुछ नुकसान नहीं हुआ, तुम ठीक हो, कुछ ग़लत नहीं हो रहा।‘’ धीरे धीरे व्याकुलता सहने की शक्ति बढ़ेगी फिर व्याकुलता भी कम होती जायेगी।   सायकोथैरैपी के अन्य तरीके भी हैं जो पीड़ित व्यक्ति की आवश्यकता के अनुरूप मनोवैज्ञानिक प्रयोग करते हैं ।

अधिकाँश रोगियों को दवाइयों और व्यावहारिक चिकित्सा से लाभ मिलता है । यदि ये प्रयास विफल हों तब इलैक्ट्रो कन्वल्सिवथिरैपी काम आ सकती है।  बहुत कम रोगी होते हैं जिन्हे इससे भी लाभ न हो तब अंतिम विकल्प के रूप में मस्तिष्क  की शल्य-मनोचिकित्सा की भी विधियाँ भी हैं, जिनसे बहुत से रोगियों को लाभ मिला है।

यदि किसी मित्र या परिवार के सदस्य मे  OCD के लक्षण दिखाई दें तो मनोचिकित्सक से बेझिझक मिलें। व्यर्थ में समय न गंवायें।

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बीनू भटनागर
मनोविज्ञान में एमए की डिग्री हासिल करनेवाली व हिन्दी में रुचि रखने वाली बीनू जी ने रचनात्मक लेखन जीवन में बहुत देर से आरंभ किया, 52 वर्ष की उम्र के बाद कुछ पत्रिकाओं मे जैसे सरिता, गृहलक्ष्मी, जान्हवी और माधुरी सहित कुछ ग़ैर व्यवसायी पत्रिकाओं मे कई कवितायें और लेख प्रकाशित हो चुके हैं। लेखों के विषय सामाजिक, सांसकृतिक, मनोवैज्ञानिक, सामयिक, साहित्यिक धार्मिक, अंधविश्वास और आध्यात्मिकता से जुडे हैं।

56 COMMENTS

  1. anjula i am suffering from ocd 6 – 7 years pls help me main bhut baar nahati hoo, bhar jane main bhut dar lagta hai sab ko sab kuch nhi bata sakti . koi baat nhi karega . mera 11 years ka beta hai . mujhe bhut ghbrat hoti hai . mera jine ka man nhi karta . pls anybody help me pls

  2. mera naam manoj hai….age 23 .. mai ssc cgl ki preparation kr raha hu… 2 times exam bi diya hain pr har baar fail ho jata hu…
    muje bi ocd ki problem hai .. mai na to thik se pad pata hu .. or na hi apne saath ke dosto bagera se baat kar pata hu , unke saath ghul mil nai pata hu…or na hi apni faimily ke member ke saath me thik se behaive kr pata hu…. girl friend ke saath bi manage nai kr pata hu ..lagta hai wo muje pyra nai karti …muje dhoka de rahi hai…har time yahi sochta rahta hu, logo ke saath apne relation kese thik karu , jis bajah se mai apni preparation bi thik se nai kar paa raha hu…bahut paresaan rahta hu…subah se saam ho jati hai..par muje khusi ke 2 pal nasib nai hote……

    if someone , who under stand my problem…so please…help me… i need help..and sugessions… i am very dipresed

    • hi bro, I am aniket. Please daro mat yeh bahut logo me hota he. Tume jab koi ocd khayal aata he tab tum uspe jitna dhyan doge utna o jyada badega. Jab tume ocd khayal aata he tab apne dimag ko batao muje iska saval nahi pata JUST SAY I DON’T KNOW.

  3. mam, mai ek ladke se bahut pyar karti hu . wo ladka mujhse age me 8 year bada h. use ocd ki problem ho gayi thi kuch saal pehle uski wajah wo ek ladki ko batata h. use lagta h koi bhi ladki uski ocd ki problem jaan kar use chhod degi, mai aisa n kar sakti aur ka pta n. lekin kya kisi ladki ka uski life se chale jane se ocd problem. Aur agar ha aisa ho sakta h to agar mai kabhi kisi wajah se alag ho gayi to uska us par kya effect padega. please help me.

    • dipeeka tume uski madat karni hogi. o bharosa karta he, me isliye ye keh raha hu kyonki ocd ka insan ocd proplem kisikobi asani se nahi batata. so please

  4. Mam mujhe ocd ho gya hai mujhe ye tb pta chla jb meri family ne mujh pr gussa krna start kiya ..main bhut preshan hu..main saf safai ka bhut dhyan deti hu..yha tk ki mujhe nhane mai 4/5 hour lg jate hai..aur to aur uske bad bhi bar bar hand wash krti hu kisi se touch bhi ho jati to bhi wash krti hu.. cheezo ko bar bar check krne ki habbit hai.. meri life pr inka bhut effect pdh rha bhut kosish ki control krne ki pr nhi ho rha.. ab ye mann krta hai ki suicide kr lu itna preshan ho chuki hu

  5. My wife facing ocd problem and it’s making a serious problem,my family is very disturbing this problem and my life.please help me

    • In my opinion all those who are suffering any type of OCD should seek the helpod a Psychaitrist and clinical psychology together.You can do meditation , yoga and other physical exercises.

  6. In my opinion all those who are suffering any type of OCD should seek the helpod a Psychaitrist and clinical psychology together.You can do meditation , yoga and other physical exercises.

    • विकिपीडिया से ली गई निम्नलिखित सूचना आपके प्रश्न के उत्तर में केवल आपकी जानकारी के लिए प्रस्तुत है|

      “विद्युत्-आक्षेपी चिकित्सा (Electroconvulsive therapy / ECT) मनश्चिकित्सा की एक मानक विधि है। सामान्यतः इसे ‘आघात चिकित्सा’ या आम भाषा में ‘बिजली के झटके’ कहा जाता है। यह एकध्रुवीय अवसाद (Major depressive disorder) का एक जैविक उपचार है जिसमें रोगी के सिर से इलेक्ट्रोड संलग्न कर उसमें विद्युत धारा प्रवाहित करके मष्तिष्क तक पहुँचाई जाती है। यह तीव्र अवसाद के रोगियों पर प्रभावी होती है जिन पर औषधि-चिकित्सा असफल हो जाती है।

      बिजली के झटके या ईचीटी के के संबन्ध में साधारण लोगों मे एक डर रहता है किन्तु ईसीटी एक बहुत ही सुरक्षित एवं असरदार इलाज है। कई मरीज जो अवसाद से ग्रस्त हों, इस कदर की वो आत्महत्या की बात सोंचे या करे, उनमें भी ईसीटी बहुत जल्द असर दिखाती है। इसे इतना सुरक्षित माना गया है कि गर्भवती महिलाएंँ जब मानसिक रूप से बीमार हो जाती हैं, ईसीटी देना दवाइयों से ज्यादा सुरक्षित माना गया है। शोध किये गये हैं जिसमें ईसीटी को पूरी तरह से सुरक्षित माना गया है।”

    • डा साहेब नमस्कार
      में पेसा से सॉफ्टवेयर इंजीनियर हु ,सब कुछ अच्छा है। मेरे मन में बहुत नकारात्मक सोच आते है। मेरा वचपन बहुत उत्पीडित स्थितिमें विताहै। में वचपनमें दुबला पतला कमजोर था ,बहुत ज्यादा बोलता था वचपन से वचपनके क्रियाकलाप न करके बढ़ी बढ़ी राजनीतिक या समाजिक बाते करता था हर किसी से लड़ता था और पिट जता था। वचपनमें में आपने माता पिता से अलग किसीके घरमे रहकर पढ़ताथा ,जिन के घर में रहता था वह लोग मुझे उत्पीड़ित करते थे। अब सब कुछ अच्छा है फिर भी दिमागमें वचपनका उत्पीड़न की बाते बार बार दिमाग में आता है ,यह नहीं आना चाहिए अब हर कोही मुझे सम्मान करता है ,ऑफिस में बॉस मेर से बहुत खुस है। परिवार में दो सुंदर बेटे है। दिल्ली में अपना अपार्टमेंट है फिर भी मेरा मन खुश नहीं होता है बार बार उही बचपनके बाते दिमागमें आते है ,परिवारकी जिम्मेवारी की बाते ,कर्रिएर के बाते दिमागमें आना चाहिए यह अर्थहीन बाते दिमागके क्यों आते है ,यैसे मनोचिकित्सकके परामर्श से इसिटालोपरम् ३० m ले रहा हु ,सुबह दौड़ता हु ,मैडिटेशन भी करता हु ,पाहिले मैडिटेशन भी नहीं होता था अब मैडिटेशन होने लगा। बार बार दिमाग में पैन रहता है। इस बीमारी से बाहर निकलने का क्या उपाय है ,कृपया मुझे सुझाव दीजिए ?

  7. I have facing OCD for last 15 years. I am doing medical treatment regularly but not free from this phobia. Although It’s right that I am working in a Private firm and many time I was unemployed. So, this is the cause of irregularity in treatment. I have not common OCD as to others, In my life OCD has two parts First of cleaning part like Hand wash, bathing etc.etc. I am not worried with this First Part of OCD but Second Part of OCD is Horrible because in this part fully dirty thoughts are coming in my mind in whole Day and Night beside sleeping time. Dirty or Bad thoughts are coming in every & each Act like open the water bottle, drink the bottle , drop the water in mouth , after drink put down the bottle, hold the Bike key, put down the Bike stand, start to Bike, Seat on Bike , Run to Bike, On Road Zebra Crossing, Breaker etc. etc. Its only two Examples giving here. But in whole day have million Acts and I am straggle / fight with these types of thoughts.

    Many time I want to decide for suicide.

    Please suggest me . Medicines are not working.

    Ghanshyam Sharma
    9414054912

    • Meditation takes you beyond or above mind. u become thoughtless. If thoughts are gone the stress is gone. YOU FEEL HEALTHY. I meditate when needed. LEARN FROM AUTHORITY AND SEE IF IT Works?

        • (1)What is your Ph. # ? I will give you a call.
          (2)I am a PH. D. (Structural Engineering) ..Professor, Not a Medical Doctor.
          (3)I practice meditation when under stress, and have read enough about meditation from Gita, Patanjali etc.

      • hello sir… muje bi ocd ki problem hai…. social problem bahut rahti hai…logo ke saath ghulne milne me bahut problem hoti hai…jiski bajah se padai bi achhe se nai hpo pati hai….mind me har time esi tarh ke thoughts chalte rahte hai…samjh me nai aata kya karu…kabi kabi man karta hai sucide kar kar lu…kya karu kuchh samjh me nai aa raha hai…

        please help me…

    • मैं चिकित्सक नहीं हूँ केवल कभी कभार स्वयं रोगी होते परिवार व समाज में अन्य रोगियों के अनुभव और अधेड़ आयु में स्वयं अपने विवेक के आधार पर लिख रहा हूँ| यहाँ डॉ. मधुसूदन जी द्वारा बताए ध्यान अथवा चिंतन करने के उपक्रम का समर्थन करते मैं आपके व्यवसाय, पढ़ाई-लिखाई, परिवार व आयु जानना चाहूँगा| इससे पहले कि आप अपने बारे में कुछ बताएं, मैं कहूँगा कि जीवन बहुत सुन्दर है| जीवनकाल में प्रतिकूलता की धूल भले ही इसे मैला कर दे, धूल की तह तले जीवन सदैव सुन्दर ही है| जीवन की सुन्दरता बनाए रखने हेतु यंत्र की भांति शरीर को एकाग्रचित उत्तम स्थिति व अच्छे प्रयोग में लगाए रखना होगा| शेष, आपके उत्तर के बाद|

    • Ghashyam, a combination of CBT and ERP along with mindful meditation and medication works best. Most people get better as Binu Madam as mentioned in the article. But one has to be on the treatment and not give it up. Once you learn CBT, ERP, you can do self therapy.

  8. Muje pichle 16 years SE ocd he or medcin SE 50% hi rahat hue he or davaye 11 years SE continue chalu he to please this is solutions prmenantly

  9. Hi mujhe is me se kuchh kharab aadate hai kaise, Pain ek sath 4 bar pina, har vakt kuchh khatre ka dar laga rehna ,sone se pehle 4 bar darwaza check karna job pe ya Ghar pe kuchh chize baar baar bolna ,aisa lagta hai Roz mandir nahi jaunga toh life mai kuchh galat hoga ,or kabhi kabhi bohut gussa aata hai toh kuchh fekta hu maybe yeh sab isileye hai kyon ki mere life mai bohut sare problems hai mai zyaada kharcha bhi nahi kar sakta kyon ki mere father nahi hai.
    Please help me mai kya Karu mari age 22 years hai

    • ishwar ka dhyan.. vo sabse param shakti hai. hume apni jivan ki situation ko apne pe havi nhi hone dena chahiye. wakeing up early and meditation helps me to increase my knowledge of self soul & connect to divine positive energy of light. it increases my focus and awareness.life becomes easy, and whatever the situation our mind remain stable.

    • Jo thought aye usko ignore na kro….dimag me Rakhi…Kuch time baad Apne aap intensity kam ho jayegi….r TM deal krna Sikh jaoge…. YouTube pe CBT ke bare me pado….r ek series h Dr. David Tollin ki ocd ki use Dekho….will help you.

    • Bhai thought ignore na kro…..time me sath sath ignore karna Sikh jaoge as with time intensity of the thought decrease ….see Dr David Tollin Ocd series on YouTube and CBT .

    • अनिताआपको कैेसे पता कि आपको ओ. सी.डी. है ?आप किसी सरकारी या निजी अस्पताल मे मनोचिकित्सक से इाज करवायें

  10. इसलेख को बहुत लोगों ने पढ़ा और टिप्पणियां भी दीं सबका उत्तर देने की कोशिश कर रही हूँ। थोड़ी बहुत दोहराने की आदत OCD नहीं होती ! यदि आपने गैस बन्द कर दी है तो वहीं खड़खड़े सोचें कि अब आपको दोबारा चैक करने की ज़रूरत नहीं है, इसतरह से आपकी आदतें छूट सकती हैं। योग और व्यायाम भी लाभकारी होता है। जबOCD के लक्षण ऐसे हों कि आप अपनी बाध्यताओं पर नियंत्रण न रख सकें, रोज के काम करना मुश्किल हो जाये तो मनोचिकित्सक से इलाज करवायें, रोग ठीक हो जाता हैकमसे कम नियंत्रण मे रहता है बशर्ते दवाई चिकित्सक जब तक कहे न छोड़। दवाइयों का जो असर हो रहा हो वो जिकित्सक को बताते रहें। कभी दवाई बदलने की ज़रूरत हो सकती है, क्योंकि हर व्यक्ति को एक दवाई सूट नही करती, कभी ख़ुराक कम ज़्यादा करनी पड़ती है। चिकित्क के साथ साथ मनोवैज्ञानिक का परामर्ष भी लाभकारी होता है।

  11. मै एक व्यक्ति को जानता हुन जो बचपन से OCD से पीड़ित है. लेकिन उसने उसका इलाज कराने की बजाए उसके साथ जीना पसंद किया, उसने सेड़ेटिभ और एंटी-एन्जाइती दवाईयो को नकार दिया. कुछ असुविधा के बावजूद वह कुशाग्र बुद्धि का मालिक है. समाज में व्यापार में और परिवार में सफल है. ocd के इलाज का तरीका एलोपैथी के पास है नहीं.

    • हिमवन्त जी सहमति व्यक्त करता हूँ।
      एलॉपॅथी के पास कोई स्थायी उपाय नहीं है।
      औषधियों पर निर्भर होकर ही रहना पडता है।
      मेरे एक डाक्टर मित्रके पुत्रने आत्महत्त्या कर ली थी।
      पता नहीं वह औषधि लेना भूल गया या क्या?
      उपरसे अकेला रहता था।
      मैं एलॉपथीका डाक्टर नहीं हूँ।
      पर घटना को निकट से जानता हूँ।

      • I appreciate to your reply that medicines are not working in OCD is fact I also taking medicine for last 15 years but not found any result beside MONEY lost.
        Thanking you,
        Ghanshyam Sharma

        • I agree. I have had OCD from very young age. I took psych meds for last 15 years. They have not helped. They had severely bad side effects. I am withdrawing from the meds slowly. I feel better after reducing my psych meds.
          I am looking for some solution other than psychiatry.

          Please reply.

          Sameer Arora

          • I have a simple approach to any medical or non-medical issue that just does not seem to go away, accept it as a normal condition and look for options, not necessarily always to deal with the situation, but to walk away from it.

      • I appreciate to your reply that medicines are not working in OCD is fact I also taking medicine for last 15 years but not found any result beside MONEY lost.
        Thanking you,
        Ghanshyam Sharma

  12. Mujhe manochikitsk Dr saheb ne bataya ki mujhe COD hai. Mujhe bataya ki ye bimari life time rahegi ya Dawai lenese puritarah se khatam hogi? Kya mai normal life ji saktahu kya? Please reply.

  13. hai sir mujhe 9 years se ocd hai pahle tho mujhe is bimari ke bare me pta nahi tha but 2 years se mujhe pta h life barbad ho gayi hai koi help ho tho btaye sir

    • पहली बात मै महिला हूँ अतः सर न कहें। किसी सरकारी अस्पताल या निजी अस्पताल मे मनोकित्सक से लगकर इलाज करवायें, लाभ अवश्य होगा।

      • Mam mujhe Kya ho gaya h Mam Har bat ko check krna bar bar hath dhona Mam me bahot parshan hun plz help me Mam trust me me bahot hi Jada parshan hun

        • आप किसी सरकारी या प्रइवेट अस्पताल मे मनोचिकित्सक से संपर्क करें

  14. मे नेपाल से लेखराहु । ये ले मेरे जीवनमे १००% मिला हे । ले लेखके लिए बहुत धन्यबाद

  15. हिमवन्त जी, मैने कब कहा कि थोड़ा सा जुनून बीमारी है या इससे पीड़ित लोगों की बुद्धि कम होती है। जब लक्षण ऐसे को उनपर नियंत्रण पाना कठिन हो अपने काम पूरे करना मुश्किल हो, व्यवसाय संभालना मुश्किल हो तब रोग होता है। मैने अधकचरे चिकित्सक के पास जाने को भी नहीं कहा, किसी अच्छे अनुभवी मनोचिकित्सक को दिखाने को कहा है।ध्यान योग मै नहीं जानती पर वो भी मनोचिकित्सा के तहद तरह तरह से अभ्यास कराते हैं, दवाई भी ज़रूरी होती हैं। दिक़्कत ये है कि मनोचिकित्सक का नाम लेते ही लोग घबरा जाते हैं, छुपाते हैं, जो सही नहीं है।मनोचिकित्सक केवल पागलों का इलाज ही नहीं करते। चिकित्सा से बहुत फ़ायदा होता है, जीवन सार्थक तरीके से जीने के लियें रोगियों को मानसिकता बदलते मैने देखा है।

  16. सूरज जी, थोड़ा बहुत चैक करने की आदत OCD नहीं होती, जब यह आपकी दिनचर्या पर हावी होने लगे तभी बीमारी है। यदि आपने मनोचिकित्सक को दिखाया था तो उन्हे दवा के असर के बारे मे बताना चाहिये था।
    मनोरोगों मे दवाइयाँ कुछ तो असर करती है आपकी व्याकुलता को शांत करने के लियें दवाई दी होगी जिसे आप नशा समझ बैठे, OCD है, तो उसमे व्याकुलता बचैनी होती है।

  17. जिसे आप जुनूनी कह रही है, वह वास्तव में इतना जुनूनी भी नहीं होता. सामन्य रूप से कुछ चीजो को दोहराने की आदत रहती है जो परेशानी के वक्त थोड़ी ज्यादा बढ़ जाती है. लेकिन थोड़े अध्यात्म और थोड़े आत्म ज्ञान के सहारे आदमी इस जुनूनी बाध्यात्मक विकार के रहते भी बेहद सामान्य जीवन व्यतीत कर सकता है. इस मष्तिस्क की बनावट और काम करने की शैली कितनी अद्भुत है. ऐसे में अधकचरे ज्ञान वाले विज्ञान की बतायी दवाइयों से दिमाग को भोथडा क्यों बनाना. इस रोग वाले अधिकाँश व्यक्तियों का मष्तिष्क विलक्षण होता है. जो इन्द्रियातीत हो उनको भांप लेने की क्षमता होती है OCC वाले व्यक्तिओ में. शोध की आवश्यकता है.

  18. हेल्लो मैं भी ocd से ग्रस्त हूँ पर मेरे को केवल थोडा बहुत बिना मतलब चेक करने की आदत है क्या इस छोटी सी दशा में मुझे डॉक्टर के पास जाना चाहिए…? मैंने एक बार इसकी दावा ली है पर मुझे पहली ही खुराक में नशा जैसा और बहुत सुस्त और बहुत खराब सा महसूस हुआ इस लिए मैंने बंद कर दिया….

  19. अति उत्तम एवं जानकारी पूर्ण लेख…

    बधाई

    आर त्यागी

  20. बीनू जी,
    इतनी अच्छी जानकारी के लिए धन्य्वाद।
    विजय निकोर

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