पादरियों के सेक्स-कारनामों से थर्राया यूरोप, वेटिकन ने की क्षमायाचना

समाचार पोर्टल सीएनएन व अन्य प्रमुख अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसियों के हवाले से मिल रही खबरों से पता चला है कि वेटिकन कैथोलिक पादरियों के बारे में दुनियाभर और खासतौर से यूरोप के विभिन्न देशों से एक के बाद एक सेक्स-कारनामों के खुलासे से बुरी तरह हिल गया है।

और तो और शुक्रवार को म्युनिख, जर्मनी से आई खबर के अनुसार, म्युनिख आर्क- डायोसिस के कुछ पादरियों पर भी कुछ किशोरवय बच्चों ने दुष्कर्म के आरोप लगाए हैं। खबरों में बताया गया है कि जब वर्तमान पोप बेनेडिक्ट म्युनिख आर्क-डायोसिस के प्रमुख पादरी थे, तब भी इस प्रकार के दुष्कर्म हुए थे, किंतु तब रिपोर्ट दबा दी गई थी और जो पादरी बच्चों के यौन उत्पीड़न के दोषी थे, उन्हें वर्तमान पोप द्वारा कार्यमुक्त करने की बजाए पद पर बनाए रखा गया था।

इस ताजा आरोप ने पोप बेनेडिक्ट को झकझोरकर रख दिया है। इसके पहले की म्युनिख सेक्स कांड पर कैथोलिक समुदाय में बहस तेज होती, पोप ने स्वयं आगे आकर एक अन्य मामले में माफी मांगने का फैसला कर लिया। विश्लेषक इसे पोप द्वारा अपना चेहरा बचाने की कवायद करार दे रहे हैं।

सूत्रों के अनुसार, चर्च से जुड़े सेक्स स्कैंडलों का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जिस तेजी से एक के बाद एक खुलासा होता जा रहा है, उससे वेटिकन में बदहवासी का आलम छा गया है। दबी जुबां नैतिकतावादी कैथोलिक पोप बेनेडिक्ट सोलहवें से पद से त्यागपत्र देने की मांग करने लगे हैं। नैतिकतावादियों का मानना है कि पोप बेनेडिक्ट का कैथोलिक पादरियों के बड़े वर्ग पर नैतिक नियंत्रण समाप्त हो चुका है और इसके कारण दुनियाभर में कैथोलिक ईसाई समुदाय की साख पर बट्टा लग गया है।

शुक्रवार, 19 मार्च, 2010 को वेटिकन ने आधिकारिक रूप से इस खबर की पुष्टि की कि पोप बेनेडिक्ट सोलहवें ने आयरलैण्ड के कैथोलिक समुदाय से अपने पादरियों के सेक्स स्कैण्डल में संलिप्तता पर लिखित माफी मांगी है।

इस बीच यूरोप के करीब आधा दर्जन देशों में कैथोलिक पादरियों के अनैतिक सेक्स संबंध रखने और इस प्रकार के काम बाकायदा रैकेटियर के रूप में संलिप्त होने की खबरों के प्रकाश में आने से वेटिकन और पोप बेनेडिक्ट की मुश्किलें बढ़ गई हैं।

कैथोलिक मामलों की रिपोर्टिंग बीट से जुड़े सीएनएन संवाददाता जॉन एलेन ने स्पष्ट किया है कि वेटिकन अब उन देशों के पादरियों के प्रति भी सशंकित हो उठा है जहां कैथोलिक ईसाई बड़ी संख्या में रहते हैं।

जिन यूरोपीय देशों से पादरियों के दुराचार की खबरें आ रही हैं उनमें म्युनिख-जर्मनी के अतिरिक्त आस्ट्रिया, स्विटजरलैण्ड, नीदरलैण्ड, स्पेन आदि प्रमुख हैं। अकेले जर्मनी से पादरियों के यौन उत्पीड़न से त्रस्त लोगों के तीन सौ से अधिक शिकायतें प्रकाश में आई हैं। स्वयं वेटिकन में पोप की नाक के नीचे प्रमुख पादरी और प्रशिक्षु युवा पादरी अनैतिक रूप से सेक्स कांड में संलिप्त पाए गए हैं।

उधर ब्राजील में एक टी.वी. न्यूज चैनल पर एक वरिष्ट पादरी के एक 18 साल के किशोरवय लड़के के साथ सेक्सकांड का पर्दाफाश हो जाने से कैथोलिक पादरियों के खिलाफ समूचे यूरोप में जनरोष और तेजी से सुलगने लगा है।

अपने क्षमापत्र में पोप ने कहा है कि ‘निश्चित रूप से क्षमा मांगकर हम पश्चाताप कर रहे हैं और जो हुआ है, उससे उबरने के लिए प्रभु से प्रार्थना करते हैं।’

3 COMMENTS

  1. मीडिया द्वारा पक्षपात तो किया ही जा रहा है, जबकि मीडिया चेनल के लोग भी इस काम मैं संलग्न हैं ऐसी स्थिति मैं इन मीडिया चैनलों द्वारा कुछ अपराधियों जो की साधू का वेश रखकर अनैत्तिक कार्यों मैं लिप्त हैं उन्हें बार बार जिस तरीके से दिखाया जा रहा है उससे स्पष्ट है की चेनल सिर्फ इन अपराधियों की कारगुजारी उजागर करने से ज्यादा बाबा एवं साधुओं की छवि को नष्ट करने मैं लगे हैं. ताकि लोग इन पर विश्वास करना छोड़ दें . कुछ राष्ट्रद्रोही लोग साधू संतों के जनमानस पर प्रभाव से आशंकित हैं तथा भारतीय संस्कृति एवं आस्था को नष्ट करने के अपने अभियान मैं इसको रोड़ा मानते हैं. ऐसे चेनलों का बहिस्कार करने एवं अपने घरों मैं इन चेनलों की करतूतों के बारे मैं अवश्य बताएं.

  2. यह होना बिलकुल स्वाभाविक है. शरीर की एक मांग है, वासना की भूख पर नियंत्रण पाने की वैज्ञानिक व्यवस्था और तकनीक भारतीय सनातन संस्कृति ,योग साधना में बतलाई गई है. इतना होने पर भी कई साधू संतों से भूल होजाती है. पर ईसाइयत में तो सयम की कोई तकनीक सिखाने की व्यवस्था है ही नहीं. इससे तो सौ प्रतशत पादरी और नन्स कामवासना तथा अनैतिकता का शिकार बनते होंगे. न बनें, इसका कोई कारन नहीं. इसाई व्यवस्था ही एसी है जिसमें अनेतिक सम्बन्ध बनाने स्वाभाविक हो जाते हैं. बात केवल इतनी सी है की कुछ पर पर्दा पड़ा रहता है और कुछ से हट जाता है.
    सही बात तो यही होगी कि ननों को विवाह कविकल्प दे दिया जाये जिस से अनेतिकता को बढ़ावा ना मिले और ढोंगी जीवन जीने , दमित वासनाएं पालने की मजबूरी से उन्हें मुक्ति मिले. पादरियों के लिए विवाह आवश्यक हो तो (अपवाद छोड़कर)समस्या कि विकरालता बहुत घाट जाएगी .
    मीडिया की विडम्बना यह है कि वे साधू-संतों के मामलों को अतिशयोक्ति के साथ प्रचारित करते हैं पर इसाई पादरी और ननों के मामलों को दबादेते हैं. इससे अब लोग समझने लगे हैं कि मीडिया इमानदारी से काम नहीं कर रहा और उसकी दी सूचनाओं पर शक करने कि भारी गुंजाइश है.

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