बिहार में बना बलात्कार का रिकॉर्ड

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-अभिषेक रंजन-  bihar-map_37

सुशासन के तमाम दावों के बीच बिहार में महिला अपराध के मामले बढ़े हैं। महिला अपराध की बात करें तो पिछले वर्ष (2013) में यह संख्या बढ़कर 10,898
पहुंच गयी। बिहार पुलिस मुख्यालय से प्राप्त आंकड़ों व एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले वर्ष नवंबर तक प्रदेश में महिलाओं से जुड़े 10,898 अपराध के मामले दर्ज किए गए जिसमें बलात्कार, अपहरण, छेड़खानी, दहेज और दहेज प्रताड़ना के क्रमश: 1052, 4102, 299, 1129 और 4316 मामले शामिल हैं। वर्ष 2012 में बिहार में महिलाओं से जुड़े 9795 अपराधों में बलात्कार, अपहरण, छेड़खानी, दहेज और दहेज प्रताड़ना के क्रमश: 927, 3789, 118, 1275 और 3686 मामले शामिल थे।
नीतीश सरकार के पिछले आठ वर्ष के कार्यकाल के दौरान बिहार में महिला अपराध के आंकड़ों पर अगर नजर डाली जाए तो वर्ष 2006, 2007, 2008, 2009,
2010, 2011, 2012 एवं 2013 में क्रमश: 4974, 4969, 6186, 6393, 6790, 8141, 9795 और 10898 मामले दर्ज किए गए। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2012 एवं 2013 में दिल्ली में हुई बलात्कार की दो घटनाओं को लेकर भी बिहार चर्चा में रहा था।
इन सबके बीच राज्य के पुलिस महानिदेशक अभयानंद ने बड़ी बेशर्मी से इस आंकड़े को झुठलाने का प्रयास करते हुए कहा कि महिला अपराध में वृद्धि इसलिए नजर आ रही है कि क्योंकि अब ऐसे मामले दर्ज किये जा रहे हैं। आधी आबादी के हितों और महिलाओं की सशक्तिकरण की बात करने वाली सुशासन
सरकार के कार्यकाल के दौरान महिलाओं के खिलाफ अत्याचार और उत्पीड़न की घटनाओं में वृद्धि का क्रम लगातार जारी है। वहीं दूसरी तरफ सरकार पंचायती
राज संस्थानों, स्थानीय निकायों तथा शिक्षकों की नियुक्ति में 50 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने बात कहकर सुरक्षा देने की अपनी जिम्मेवारी से भाग रही
है।
पिछले कुछ वर्षों में बिहार में न केवल आपराधिक वारदातों की संख्या में भारी इजाफा देखा गया है बल्कि सरकार की भूमिका भी बड़ी संदिग्ध रही है। 18
सितंबर, 2012 को मुजफ्फरपुर शहर से अपहृत नवरुणा का अब तक पता राज्य की पुलिस नहीं लगा पाई है। सरकार इस मामले में सदैव उदासीन बनी रही और
बेशर्मी की हद तक जाकर बिहार पुलिस की नाकामियों का बचाव किया।

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