सरकारी आयोजन पर राजनीति का लेप दुर्भाग्यपूर्ण

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-निर्मल रानी

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भारतीय राजनीति में नैतिकता तथा शिष्टाचार का दिन-प्रतिदिन तेज़ी से ह्रास होता जा रहा है। राजनेताओं द्वारा एक-दूसरे के ऊपर तीखे से तीखे शब्दबाण छोड़े जाने लगे हैं। प्रत्येक राजनैतिक दल अपने विरोधी दलों के नेताओं को अपमानित व बदनाम करने के लिए कोई भी हथकंडे अपनाने के लिए तैयार बैठा है। और इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए अब इन्हीं राजनैतिक दलों ने सरकारी आयोजनों पर भी राजनीति का लेप चढ़ाना शुरु कर दिया है। और अपने इस अभियान के तहत यह राजनैतिक दल किसी दूसरे दल के नेता की प्रतिष्ठा,उसकी मान-मर्यादा तथा पद की गरिमा को तिलांजलि देने से बाज़ नहीं आ रहे हैं। पिछले दिनों कुछ ऐसा ही दृश्य हरियाणा के कैथल जि़ले में उस समय देखने को मिला जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में एक 4 लेनिंग प्रोजेक्ट का उद्घाटन करने पहुंचे। कैथल से होकर राजस्थान को जोडऩे वाले 160 किलोमीटर लंबे नेशनल हाईवे संख्या 152/126 की 4 लेनिंग प्रोजेक्ट का शिलान्यास हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया। परंतु इस आयोजन में प्रधानमंत्री के निमंत्रण पर तथा प्रोटोकाल के मद्देनज़र हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी उनके साथ मंच पर मौजूद थे।

गौरतलब है कि हरियाणा में निकट अक्तूबर माह में विधानसभा आम चुनाव होने प्रस्तावित हैं। लिहाज़ा नरेंद्र मोदी द्वारा प्रधानमंत्री का पद ग्रहण करने के बाद हरियाणा में आयोजित उनकी इस पहली जनसभा को भारतीय जनता पार्टी द्वारा एक शुभ अवसर के तौर पर देखा गया। भाजपा ने कैथल के अतिरिक्त पूरे राज्य के भाजपाइयों को बड़ी संख्या में नरेंद्र मोदी की रैली में पहुंचने का सुनियोजित प्रबंध किया। भाजपा के टिकटार्थियों की लंबी कतार के चलते भी टिकट के दावेदार एक-दूसरे की प्रतिस्पर्धा में अधिक से अधिक वाहन तथा कार्यकर्ता लेकर कैथल रैली में पहुंचते देखे गए। गोया यह पूरा का पूरा आयोजन सरकारी आयोजन होने के बावजूद भाजपा के पार्टी आयोजन के रंग में बदल गया। कार्यक्रम के दौरान जब मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अपना भाषण शुरु किया उसी समय बड़े ही योजनाबद्ध तरीके से मोदी-मोदी के नारे लगाए जाने लगे। यह असहज स्थिति तब तक चली जक तक हुड्डा ने सिर झुका कर अपना पूरा भाषण समाप्त नहीं कर लिया। ऐसा ही इसी मंच पर उस समय भी हुआ जबकि राज्य के एक मंत्री तथा कैथल के विधायक रणदीप सिंह सुरजेवाला को स्मृति चिह्न भेंट किया जा रहा था। इसके विपरीत जिस समय नरेंद्र मोदी का भाषण शुरु हुआ उस समय इसी जनसमूह द्वारा मोदी का तालियां बजाकर स्वागत किया गया तथा उनके समर्थन में तरह-तरह के नारे भी लगाए गए। ऐसी ही घटना इससे पूर्व अभी कुछ दिन पूर्व महाराष्ट्र में भी घटित हो चुकी है। जबकि महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में भाजपाइयों के विरोध का सामना करना पड़ा। चौहान अपना भाषण छोड़कर वापस आ गए।

ऐसी शर्मनाक व दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के बाद कांग्रेस आलाकमान ने अपने कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को हिदायत दी है कि वे मुख्यमंत्री के प्रोटेकाल के तहत अपने राज्य में प्रधानमंत्री की अगवाई तो करें, उनके ज़रूरी कार्यक्रमों में शरीक भी हों मगर उनकी रैलियों व जनसभाओं से स्वयं को दूर रखें। हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी यह घोषणा की है कि वे भविष्य में नरेंद्र मोदी के साथ किसी भी कार्यक्रम में नहीं जाएंगे। परंतु भारतीय जनता पार्टी के राज्य के एक जि़म्मेदार नेता की ओर से इस विषय पर जो प्रतिक्रिया दी गई है वह गैर जि़म्मेदाराना है। भाजपा की ओर से कहा गया है कि कांग्रेस राज्य में अपना जनसमर्थन खो चुकी है। क्योंकि जनता ने दस वर्षों में जगलराज,भ्रष्टाचार तथा भाई-भतीजावाद झेला है। यहां यह कहना ज़रूरी है कि मध्य प्रदेश जोकि भाजपा शासित राज्य है वहां भी तथा उत्तरांचल व कर्नाटक जैसे पूर्व भाजपा शासित राज्य में जहां येदिउरप्पा तथा जनार्दन रेड्डी जैसे नेता जि़म्मेदार पदों पर बैठे हुए थे इन जगहों पर भी भ्रष्टाचार देश के किसी अन्य राज्य से कम नहीं रहा है। मध्य प्रदेश में तो मामूली सा चपरासी भी छापामारी होने पर करोड़पति दिखाई देता है। बलात्कार के आंकड़ों में मध्यप्रदेश नबर वन पर है। क्या देश में सबसे अधिक भ्रष्टाचार हरियाणा में ही है जोकि यहां की जनता इतना आक्रोशित हो उठी कि प्रधानमंत्री की मौजूदगी में वह मुख्यमंत्री के प्रति शिष्टाचार व नैतिकता को भी ताक़ पर रख बैठी?

दरअसल, इस तरह की हरकतें बाकायदा योजनाबद्ध तरीके से की जा रही हैं। देश में नरेंद्र मोदी के पक्ष में वातावरण तैयार करने के लिए बाकायदा इसका प्रशिक्षण कार्यकर्ताओं को दिया गया है। यदि आप गौर करें तो देखेंगे कि चुनाव पूर्व नरेंद्र मोदी की लगभग प्रत्येक जनसभा में मोदी-मोदी चिल्लाकर ऐसा ही वातावरण पैदा किया जाता था। नरेंद्र मोदी के पक्ष में इंडिया टीवी द्वारा चुनाव पूर्व प्रसारित आपकी अदालत नामक इस कार्यक्रम में भी देखा गया था  जिसमें कि नरेंद्र मोदी व रजत शर्मा रूबरू थे। स्टूडियो में बैठे दर्शक बड़े ही सुनियोजित तरीके से थोड़ी-थोड़ी देर बाद मोदी-मोदी के नारे लगाते रहते थे। यही स्वर लेह में भी नरेंद्र मोदी के सरकारी कार्यक्रम में सुने गए। और अब महाराष्ट्र व हरियाणा में भी इन्हीं की पुनरावृति की जा रही है। दरअसल यह सब सोचे-समझे राजनैतिक हथकंडे हैं जिनके द्वारा अब नरेंद्र मोदी के तीन माह के शासनकाल की नाकामियों को न केवल छाुपाने की कोशिश की जा रही है बल्कि साथ-साथ देश के कई राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए भी पार्टी के पक्ष में माहौल तैयार किया जा रहा है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा के शासन में यदि भ्रष्टाचार हुआ है तो  कथित रूप से भ्रष्टाचार करने में उनके  सहयोगियों को भाजपा क्योंकर गले लगा रही है? हुड्डा सरकार द्वारा तो अपने शासनकाल की उपलब्धियों का बाकायदा ब्यौरा दिया जा रहा है कि विकास के किन-किन क्षेत्रों में हरियाणा देश में नंबर वन है। परंतु हुड्डा के इन दावों का जवाब देने के बजाए मात्र कांग्रेस विरोधी वातावरण तैयार करने के लिए उन्हें विकास का जवाब विकास से देने के बजाए हूटिंग जैसे घटिया दर्जे के हथकंडों का इस्तेमाल कर दिया जा रहा है।

भारतीय जनता पार्टी इस समय यह भलीभांति महसूस करने लगी है कि अब उसकी स्थिति संसदीसय चुनाव से पूर्व वाली स्थिति नहीं रही। लोकसभा चुनाव के कुछ ही समय बाद उत्तरांचल में हुए तीन सीटों के विधानसभा चुनावों में तीनों सीटें कांग्रेस पार्टी ने जीतीं। इतना ही नहीं बल्कि उत्तरांचल के भाजपा के एक उम्मीदवार राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक तक अपना चुनाव हार गए। चुनाव पूर्व नरेंद्र मोदी द्वारा मंहगाई रोकने का संकल्प व्यक्त किया गया था। परंतु आज टमाटर 100 रुपये किलो तथा आलू 40 रुपये किलो तक बिक लिया। सब्जि़यों के दाम आसमान पर हैं। चीन और पाकिस्तान द्वारा सीमा पर की जाने वाली घुसपैठ को लेकर लोकसभा चुनाव प्रचार में नरेंद्र मोदी कांग्रेस पार्टी तथा मनमोहन सिंह के नेतृत्व को खासतौर पर जि़म्मेदार ठहराते रहते थे। मोदी के सत्ता में आने के बाद भी इन दोनों ही पड़ोसी देशों की यह हरकतें वैसे ही जारी हैं। बल्कि इनमें बढ़ोतरी ही हुई है। बलात्कार की घटनाओं के लिए भी नरेंद्र मोदी केंद्र सरकार पर निशाना साधतेे रहते थे। अब उनके शासनकाल में भी वही सबकुछ हो रहा है। अपनी इन्हीं नाकामियों पर पर्दा डालने के लिए तथा सत्ता पर अपनी पकड़ बरकरार रखने की गरज़ से अब भारतीय जनता पार्टी द्वारा न केवल सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की कोशिशें तेज़ की जा रही हैं बल्कि कैथल की तरह ही अपने विरोधी दल के नेताओं की हूटिंग कर जनता में जबरन यह संदेश पहुंचाने की कोशिश की जा रही है कि भाजपा की लोकप्रियता के चलते किसी अन्य पार्टी के नेता को कोई सुनना व देखना नहीं चाहता।

ऐसी कोशिशें स्वच्छ व नैतिकतापूर्ण राजनीति के लिए बहुत बड़ा खतरा हैं। सरकारी आयोजनों को राजनीति का रंग हरगिज़ नहीं देना चाहिए। किसी भी राज्य के मुख्यमंत्री, मंत्री अथवा निर्वाचित प्रतिनिधि चाहे वह किसी भी दल से संबंध क्यों न रखता हो आिखरकार वह भी जनता का नुमाईंदा ही है। उसे अपमानित करना भी जनता व मतदाताओं का अपमान है। बहुमत के नशे में चूर भाजपाईयों को ऐसी हरकतों से परहेज़ करना चाहिए। क्योंकि भारत एक विशाल लोकतंत्र है और यहां के मतदाता किसी भी नेता अथवा राजनैतिक दल को जिस प्रकार अपने सिर पर बिठा सकते हैं उसी प्रकार उसे धरातल का स्वाद भी चखा सकते हैं। लिहाज़ा राजनीति में बहुमत के अहंकार से दूर रहना चाहिए।

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  1. यह सिलसिला अगर नहीं रुका तो सभी दलों के लिए घातक होगा स्वयं मोदी को इस प्रकार के शोर होने पर मना करना चाहिए भा ज पा नेताओं को इस बात से खुशी नहीं मनानी चाहिए, आज उनके कार्यकर्ता यदि ऐसा हंगामा कर रहें हैं तो कल उनकी सभाओं में भी ऐसा ही होना शुरू हो जायेगा जो स्वस्थ लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत नहीं

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