दोहों पर दोहे

dohaउर्दू में है शेर ज्यों, दोधारी शमशीर |

हिंदी में दोहा अटल, सही लक्ष्य का तीर |

 

शेरो में शायर भरे, पूरे मन के भाव |

इसी भाँति  दोहा करे, सीधे मन पर घाव |

 

गजल शेर का एक जुज, हो इनसे परिपूर्ण |

पर दोहा है चतुष्पद, भाव भरे सम्पूर्ण |

 

दोहा पूर्ण यथार्थ है, भरा सार्थक तत्व |

अक्षर-अक्षर चुन रखा, बढ़ता गया घनत्व |

 

दोहे में शक्ति बहुत, नहीं जरा अतिरेक |

चहूँदिशि शर संधानता, जड़ा शब्द हर एक |

 

दो पंक्ति इस छंद की, दो धारी तलवार |

रही कहीं थोड़ी कमी, देती खाल उतार |

 

एक बार त्रुटि से रचा, होता है कब ठीक |

चाहे कुछ कर डालिए, हो ना पाए नीक |

 

कविता में सिरमौर है, ये छंदों का छंद |

मन-मस्तक पर प्यार से, करे वार निर्दवन्द |

 

दोहा रचना है कठिन, सरल नहीं यह जान |

कम शब्दों में भाव ले, भरने हैं निज प्रान |

 

यद्यपि दोहा एक है, अलग-अलग हैं भाग |

चार भाग करते निहित, जीवन का हर राग |

4 COMMENTS

  1. प्रथम और तीजा चरण , तेरह मात्रा मान .

    दूजा और अंतिम चरण , ग्यारह मात्रा जान ..

    अंतिम वर्ण लघु चाहिए , गुणी गिनत गण-मान्य .

    दोहे लिखे रहीम ने ,पाया बहु धन -धान्य ..

    श्रीराम तिवारी

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here