एक पाती राहुल बबुआ के नाम

-विपिन किशोर सिन्हा-
rahul

प्रिय राहुल बबुआ,
जब से तुम्हारी पार्टी लोकसभा का चुनाव हारी, हम सदमे में चले गये। उत्तराखण्ड में हुए उपचुनाव में तीनों विधान सभा की सीटें कांग्रेस ने जीत ली है। इस खबर से इस मुर्दे में थोड़ी जान आई है। इसीलिये आज बहुत दिनों के बाद एक पाती लिख रहा हूं।

बेटा, हिम्मत मत हारना। हारिए न हिम्मत बिसारिये न हरि नाम। हरि से तो तुम्हारे खानदान और परिवार का कोई वास्ता कभी नहीं रहा है लेकिन हिम्मत से हमेशा रहा है। हिम्मत के मामले में तुम्हारी दादी बेजोड़ रही हैं। कांग्रेस से अलग होकर इन्दिरा कांग्रेस बनाने तथा १९७५ में एमरजेन्सी लगाने का काम कोई बड़ी हिम्मत वाला शक्स ही कर सकता था। तुम्हारे में भी थोड़ी-बहुत हिम्मत है। जब तुम बाहें चढ़ाकर चमचों के बीच भाषण देते थे, तो लोग तुम्हें यन्ग्री यंगमैन समझने लगे थे। मीडिया ने तुमको अमिताभ बच्चन का नया अवतार कहना शुरु कर दिया था। जब तुमने दागी विधायकों और सांसदों को बचानेवाले अपने ही सरकार के अध्यादेश को प्रेस के सामने फाड़ कर फेंक दिया था, तुम अचानक राजनीति के राबिनहुड बन गये थे। चाटुकार दरबारियों को तुमसे बहुत आशायें थी लेकिन नरेन्द्र मोदी ने सब गुड़ गोबर कर दिया। योजना तो तुमने ठीक ही बनाई थी। केजरीवाल को पटाकर लोकसभा की ४४० से अधिक सीटों पर आप के उम्मीदवार खड़ा कराकर काग्रेस विरोधी वोट बांटने का तुम्हारा और भौजी का प्रयास सराहनीय था। लेकिन केजरीवाल पर भगोड़ा होने का लेबल इस तरह चस्पा हुआ कि वह खुद तो हारा ही अपने महारथियों की जमानत भी गंवा बैठा। तुम्हारा गुरु योगेन्द्र यादव चारों खाने चित्त हो गया। मोदी की सुनामी ने बड़े बड़ों का बन्टाढाढ़ कर दिया। बताओ, आज नेता विरोधी दल के भी लाले पड़ गए।

पुरखे कह गये हैं – मनुष्य बली नहीं होत है, समय होत बलवान, भीलन गोपी छीन लिए वही अर्जुन वही बाण| बेटा, सपने हमेशा ऊंचे देखना चाहिये। प्रधान मंत्री का सपना देखते-देखते, नेता विपक्ष का सपना क्यों देखने लगे? तुम्हीं बताओ, ४४ की संख्या पर नेता, विपक्ष कैसे बनोगे? यह छोटा सा गणित तुम्हरी समझ में काहे नहीं आ रहा है? तुम लोगों के लिये सौ खून माफ़ है, लेकिन मोदी ने अगर एक गलती की, तो नेशनल/इन्टर नेशनल मीडिया उसे शूली पर टांग देगी। तुम्हारी दादी के किचेन में घुसकर खाना बनानेवाली प्रतिभा पाटिल को तुम्हारी मम्मी और हमारी भौजाई ही राष्ट्रपति बना सकती हैं, दूसरे किसी में इतनी हिम्मत नहीं है। बेटवा, यह माना कि तुम खानदानी शहज़ादा हो। लाल बत्ती की गाड़ी में चलने की तुम्हारे परिवार को आदत है लेकिन यह लोकतंत्र भी कभी-कभी पेनाल्टी किक दागिए देता है। इन्तज़ार करने में कवनो हरज नहीं है। पैसा-कौड़ी की तो तुम्हारे पास वैसे ही कवनो किल्लत नहीं है। अभी तो राजीव भैया के स्विटजरलैंड का पैसा ही खर्च नहीं हुआ होगा, २-जी, ३-जी, कोलगेट, कामनवेल्थ आदि-आदि का पैसा भी भौजाई बीमारी के बहाने अमेरिका जाकर सुरक्षित जगह पर रखिये आई हैं। एक नहीं, सौ जेटली आयेंगे, तो भी तुम्हारे पैसे का सुराग नहीं पा पायेंगे। इसलिये चिन्ता की कवनो बात नहीं है। लेकिन बेटा, कुछ बुरी आदतें तो छोड़नी ही पड़ेंगी। लोकसभा चल रही थी, महंगाई पर गंभीर चर्चा चल रही थी और तीसरी पंक्ति में बैठे-बैठे तुम सो रहे थे। टीवी चैनल वालों की मदद से सारी दुनिया ने यह दृश्य देखा। दूसरे दिन भौजाई ने बुलाकर फ़्रौन्ट रो में तुम्हें अपने पास बिठाया। बेटा, वे कबतक स्कूल मास्टर की भूमिका निभायेंगी। उनके आंचल की छांव में कबतक पनाह लोगे। अब तो तुम्हारी उमर भी ४५ को पार कर गई होगी। अब अपने लिये फ़ुल टिकट की व्यवस्था करो। हाफ़ टिकट पर कबतक चलोगे? कोई भी बाप अपनी बेटी के लिये एक कमाऊ और समझदार बालिग दामाद ढूंढ़ता है। जरा मैच्युरिटी दिखाओ, वरना ज़िन्दगी भर कुंवारा ही रहना पड़ेगा। कही तुमने प्रधानमन्त्री बनने के बाद ही शादी करने की कसम तो नहीं खा रखी है? अगर ऐसा है, तो बहुत बुरा है। जनता ने जिस तरह लोकतंत्र का पेनाल्टी किक लगाया है, उसको देखते हुए तो ऐसा नहीं लग रहा है कि ५ साल बाद भी कोई चान्स मिलेगा। वैसे भी मोदी जहां का चार्ज लेते हैं वहां कम से कम तीन चुनाव तो जीतते ही हैं। तबतक तुम्हारी बुढ़ौती आ जायेगी। फिर भांजों के साथ ही बारात निकालनी पड़ेगी। दिग्विजय को अमृता राय मिल भी गई, तुम्हारे लिये लड़की तलाशना लोहे का चना चबाने जैसा होगा। फिर तुम्हें खुद ही अपने परनाना की तरह किसी एडविना माउन्टबेटन की तलाश करनी होगी।

हमलोग यहां राजी-खुशी हैं। भगवान तुम्हें भी भौजी के साथ राजी-खुशी रखें। बबुआ मेरी बात का खयाल रखना –
तूने रात गंवाई खाय के; दिवस गंवाया सोय के,
हीरा जनम अमोल था, कौड़ी बदले जाय।
जय रामजी की। इति शुभ।
तुम्हारा – चाचा बनारसी

3 COMMENTS

  1. This is an excellent comment on Babua Rahul. He has already Venaazuelan girl friend because he does not like Indian girls except the chair of P.M. He does not want to become opposition leader himself but he wants some one else to do this for him but he is ready r to be P.M. of India.
    He has dyslexia so he needs support from mammy and Diggy which we must consider about his performance.
    He may go to Nanihal and take early retirement for charity work.
    Babujee has had tough time and forced to take the responsibility for 125 kARORE people which may ruin his health.

  2. वाह चाचा, सलाह तो ठीक ही दे रहे हो राहुल बाबा को , पर अब निगरानी आप को ही रखनी पड़ेगी ,आपकी भौजी कब तक कान पकड़ बाबा को अपने पास बैठाये रखेगी, फिर अभी तो गुरु दिग्गी राजा भी बहुत सदमे में है , एक तो चुनावी हार ,दूजे गुरु नर शादी करने की इजाजत नहीं दी , तीजे आये दिन माइक पर भोंकने की आदत भी न बोल पाने के कारन तंग कर रही है , सो जरा धयान ही रखियो , बाकि आपकी सारी सलाह नेक ही है , ,अब शादी की बात वास्ते बबुआ को तंग मत करो,महीने में एक दो दिन की छुट्टी में सैर सपाटे से काम चल जावे है, अभी तो देशवा के लिए बहुत काम करने है , शादी की जिम्मेदारी से वे न हो पावेंगे ,बाकी सब ठीक है , हमारी बात बुरी लगे तो माफ़ करना और मत मानना
    – आपका भगत

  3. चाचाजी की और सब बातें तो ठीक लगी पर यह शादी कर लो शादी कर लो वाली बात कुछ जमी नहीं । राहुल बाबा अभी जवान हैं। यह उनके खेलने खाने के दिन हैं। रूपए पैसे की कोई तंगी नहीं है.. बेचारे पार्टी के लिए इतनी मेहनत करते हैं . तो जब कभी मूड बने तो मनोरंजन के लिए चुपचाप बाहर निकल जाते हैं. किसी को पता नहीं लगता। समझनेवाले समझते हैं जो न समझे वह अनाड़ी है. अब चाचाजी आप भी घाट घाट का पानी पी चुके हैं. राहुल बबुआ अज्ञातवास में ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए भगवद्भजन में तो लीन नहीं रहते होंगे . तो बेचारे को जितना बर्फी का रस पीने को मिले पी लेने दीजिये। और रहा शादी का तो जब समय आएगा कर लेंगे. डिग्गी राजा को अमृता राय मिल गई कि नहीं। और रही बुढ़ापे की तो हमारे सामने आदरणीय तिवारी जी के दिखाए गए जौहर हैं ही। बड़े बड़े युवा क्या पौरुष दिखाएंगे . इसलिए विनम्र विनती है कि रंग में भांग मत डालिये। धृष्ट के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ
    एक क्षुद्र पाठक

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