राज्यपाल राम नाईक की एक और ‘गुगली’

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राज्यपाल राम नाईक
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राज्यपाल राम नाईक
राज्यपाल राम नाईक

संजय सक्सेना

 

संसदीय कार्य मंत्री आजम खां द्वारा 08 मार्च को महामहिम के खिलाफ विधान सभा में की गई आपत्तिजनक टिप्पणी का मामला समय के साथ गंभीर होता जा रहा है। आजम का बयान उनके लिये गले की हड्डी बनता जा रहा है। पहले राज्यपाल राम नाईक ने विधान सभा अध्यक्ष माता प्रसाद से आजम के विवादित बयान की संपादित और असंपादित सीडी मंगाई और जब यह मिल गई तो इसका अध्ययन करने के पश्चात गत दिनों राज्यपाल ने विधान सभा अध्यक्ष माता प्रसाद को पत्र लिखकर तथा उसकी एक प्रति मुख्यमंत्री अलिखेश यादव को भी भेजकर सपा के कद्दावर नेता और संसदीय कार्य मंत्री आजम खान की योग्यता पर ही प्रश्न चिन्ह लगा दिया। राज्यपाल ने विधान सभा अध्यक्ष को लिखे पत्र में आजम को लेकर जिस तरह की नाराजगी जताई है,उसे मात्र सियासी बताकर खारिज नहीं किया जा सकता है।महामहिम ने आजम की योग्यता पर प्रश्न चिन्ह तथ्यों के आधार पर लगाया है।राज्यपाल ने सवाल खड़ा किया,‘संसदीय कार्य मंत्री द्वारा विधान सभा में उनके(राज्यपाल)प्रति की गई लगभग 60 पंक्तियों की टिप्पणी में से 20 पंक्तियों को हटाना यह दर्शाता है कि उनकी भाशा विधान सभा की गरिमा,मर्यादा और परम्परा के अनुकूल नहीं है।सदन में संसदीय कार्य मंत्री का वक्तव्य मंत्री के रूप में उनकी योग्यता  पर प्रश्न चिंह के समान है।’

आजम प्रकरण पर विधान सभा अध्यक्ष माता प्रसाद को  पत्र लिखने के साथ ही महामहिम, सीएम से भी इस मुद्दे पर चर्चा करने का मन बना रहे हैं है,लेकिन सच्चाई यह भी है कि  चुनावी मौसम में आजम प्रकरण पर राजभवन और सरकार के बीच अभी और खाई बढ़ सकती है।राज्यपाल के पत्र पर समाजवादी पार्टी ने तो किसी प्रकार की टिप्पणी करने से इंकार कर दिया,परंतु सपा महासचिव शिवपाल सिंह यादव ने जरूर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि राज्यपाल संवैधानिक पद पर बैठे हैं,उन्हें किसी राजनीतिक बयान से बचना चाहिए।

खास बात यह है कि जिस समय राज्यपाल राम नाईक विधान सभा अध्यक्ष माता प्रसाद को पत्र लिखकर उनसे उम्मीद जता रहे थे कि वह संसदीय कार्यमंत्री आजम खां के खिलाफ कार्रवाई करेंगे,उसी समय विधान सभा अध्यक्ष माता प्रसाद और संसदीय कार्य मंत्री आजम खां एक साथ 17 दिवसीय स्टडी टूर का लुफ्त उठाने के लिये तीन देशों की यात्रा पर विदेश रवाना हो रहे थे।ऐसे में यह कहना अतिशियोक्ति नहीं होगा कि इस मामले में सरकार खानापूरी करने से आगे शायद ही बढ़े।इस हकीकत को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता है कि आजम खां के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई करने से पूर्व सपा सरकार और पार्टी दोनों को कई बार सोचना पड़ेगा।आजम खां पार्टी और सरकार में किसी की नहीं सुनते हैं।वह मुलायम के बाद अपने आप को मानते हैं और नेताजी की ही सुनते भी हैं।अखिलेश यादव ने तो कभी आजम के खिलाफ मुंह ही नहीं खोला है। हाँ,इतना जरूर हो सकता है कि राज्यपाल की तरफ से एक के बाद एक फेंकी जा रही गुगली से सहमे आजम खां बिना वजह लाटसाहब पर हमला करने की अपनी पुरानी आदत से तौबा कर लें। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी राज्यपाल नाईक से मिलकर उन्हें इस बात की गारंटी दिला सकते हैं कि भविष्य में राज्यपाल की शान में सरकार की तरफ से कोई गुस्ताखी नहीं होगी।

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संजय सक्‍सेना
मूल रूप से उत्तर प्रदेश के लखनऊ निवासी संजय कुमार सक्सेना ने पत्रकारिता में परास्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद मिशन के रूप में पत्रकारिता की शुरूआत 1990 में लखनऊ से ही प्रकाशित हिन्दी समाचार पत्र 'नवजीवन' से की।यह सफर आगे बढ़ा तो 'दैनिक जागरण' बरेली और मुरादाबाद में बतौर उप-संपादक/रिपोर्टर अगले पड़ाव पर पहुंचा। इसके पश्चात एक बार फिर लेखक को अपनी जन्मस्थली लखनऊ से प्रकाशित समाचार पत्र 'स्वतंत्र चेतना' और 'राष्ट्रीय स्वरूप' में काम करने का मौका मिला। इस दौरान विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं जैसे दैनिक 'आज' 'पंजाब केसरी' 'मिलाप' 'सहारा समय' ' इंडिया न्यूज''नई सदी' 'प्रवक्ता' आदि में समय-समय पर राजनीतिक लेखों के अलावा क्राइम रिपोर्ट पर आधारित पत्रिकाओं 'सत्यकथा ' 'मनोहर कहानियां' 'महानगर कहानियां' में भी स्वतंत्र लेखन का कार्य करता रहा तो ई न्यूज पोर्टल 'प्रभासाक्षी' से जुड़ने का अवसर भी मिला।

1 COMMENT

  1. आजम जैसे लोग नागरिको को विभाजित कर सत्ता तक पहुंच बनाना चाहते है.

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