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भ्रष्टाचार को खुली स्वीकृति - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
मोहम्मद इफ्तेखार अहमद, बर्बादी-ए-चमन के लिए एक ही उल्लू काफी था, हर शाख पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्तां क्या होगा। चारो तरफ पनप रहे भ्रष्टाचार को देखते हुए मौजूदा हालात को बयां करने के लिए शायद ही इससे बेहतर कोई और पंक्ति हो सकती है। क्योंकि, जिन कंधों पर देश…