या खुदा कैसा ये वक्त है

0
199

-जावेद उस्मानी-
ghazal-

हर सिम्त चलते खंज़र, कैसा है खूनी मंज़र
हर दिल पे ज़ख्मेकारी, हर आंख में समंदर
दहशती कहकहे पर रक्स करती वसूलों की लाशें
इस दश्तेखौफ़ में, अमन को कहां जा के तलाशें
दम घुटता है इंसानियत का, वहशीपन जारी है
या खुदा कैसा ये वक्त है लहू का नशा तारी है

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here