आदेश समझ लो !

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सुनो थोड़ी मेरे मन की भी
ओ सरकार मेरे …
भटक रहे हैं हम कबसे
गुहार लिए ।

 

थोड़ी हमारी जरूरत है
फिर भी इतनी तकलीफ !
बड़ा बहुत प्रताप तुम्हारा
तुम सरकार बड़े ।

 

हमको थोड़ी रोटी दे दो
मेहनत हम कर लेंगे
थोड़ा हमको पानी दे दो
हम खुद भर लेंगे ।

 

एक छत की कमाई दे दो
हम जी लेंगे
बिटिया का स्कूल दे दो
बच्चे पढ़ लेंगे ।

 

बिजली दे दो
सड़क दे दो
बदले में हम खट लेंगे
जीवन से भी लड़ लेंगे ।

 

तुम्हारे दफ्तर का
भ्रष्टाचार न अच्छा
गांधी बाबा का
अपमान न अच्छा ।

 

भगत सुभाष
का मान रख लो
भारत का अभिमान
रख लो ।

 

हम न जानें
राजनीति को
पर हम जानें
यह देश हमारा ।

 

राम लला का
कृष्ण और गौतम का
अल्लाह के प्यारों का
नानक का – ईसा के दुलारों का ।

 

अबकी हमरी बात रख लो
हुई देर अब
बात बढ़ी अब
विश्वास को रख लो ।

 

सीधे हैं हम
चुप रहते हैं
मानी हैं
सब कुछ सहते हैं ।

 

पर भारत तो भारत है
देखो यह इक ताकत है
जो उठती जाती है
अब बदलाव चाहती है ।

 

इसको आजमाने का
लाभ नहीं –
शीश यहाँ झुक जाते हैं
या फिर कट जाते हैं … !

 

इस जन मंदिर की
बात रख लो –
समझ गए हो तो,
आदेश समझ लो !

 

 

6 COMMENTS

  1. लक्ष्मी नारायण जी, आपकी प्रतिक्रया से एक अनूठा साहित्य प्रेम प्रकट होता है…बहुत बहुत आभार.

  2. प्रेम सिल्ही जी, प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार. जनादेश को शब्द देने का प्रयास है…

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