नरेश भारतीय
अधूरी क्यों है अभी भी यह आज़ादी?
विभाजन को स्वीकार करने की मजबूरी क्या थी?
जो कट कर अलग हुए क्या ख़ुश रहे?
जो मारकाट से आहत हुए किसके दुश्मन थे?
साम्प्रदायिक हत्याओं की भेंट चढ़ती गई आज़ादी
सरहद के उस पार जो आज होता दिख रहा
विध्वंस और विनाश के कगार पर जो है खड़ा
बन गया है आतंक का वह विश्व केंद्र क्यों?
कश्मीर की आज़ादी के लिए जिहाद का आह्वान करते
अवैध अधिकार जमाए हुए हैं उसी के एक भाग पर
आज़ाद उसको करें कश्मीरियों से माँग इसकी उठ रही
बूलोचिस्तान के लोग क्यों संत्रस्त हैं हम भी पूछें तुमसे ज़रा.
सात दशकों में तुमने क्या से क्या कर डाला है?
क्या यही मक़सद था पाकिस्तान के निर्माण का?
किसी की महत्वाकांक्षाओं के टकराव का अंजाम था
रास्ते अलग कर लिए सत्तासुख के वास्ते
दीवारें खड़ी की थीं जो अभी तक बरक़रार हैं
मज़बूत की जाती रहीं भले, निरन्तर घुसपैठ जारी है
आतंकी हमलों के रहते नाकाम हैं शांति के सब प्रयास
कभी कारगिल और कभी पठानकोट सर उठाते हैं
भारत की ही भूमि है, तुम अधिकार जमाए हो
भूमि बाँटी, सीमाएँ खींची, फिर भी तुमने बन्दूकें तानी
युद्ध किए और तुम ही हारे, फिर भी तुम बाज़ न आये
टुकड़े टुकड़े खोए तूने, तुम्हीं संभाल नहीं पाए
बहुतों ने सोचा था अस्थाई होगा बँटवारा
दशकों से आज़ादी का नाम धरे जिसे मनाते आए हैं
उस पार से मिलती हैं जब आत्मघाती हमलों की धमकियाँ
लगता नहीं कि यूँ कभी भी टूटेंगीं विभाजन की दीवारें.
आने वाली पीढ़ियाँ करेंगी फ़ैसला
और बर्लिन की दीवार की तरह ढहा देंगी
मिटा देंगीं उसी तरह से विभाजन का हर निशान
समरक्त हैं, मूल रूप से हैं भारतीय, साँझी है भाषा भी
वृहद भारत के निर्माण का लक्ष्य पूर्ण होने तक
शहीदों के सम्पूर्ण स्वतंत्रता के स्वप्न के साकार होने तक
करना होगा महा संघर्ष, शांति के लिए सबर के साथ
पर करना होगा नाश उनका, विनाश के हैं जो