हमारे पैसों से ही भारत में आतंक बरपा रही है आईएसआई

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लिमटी खरे

अपने नापाक इरादों के साथा भारत गणराज्य में आतंक बरपाकर अस्थिरता पैदा करने के अनेक आरोप पाकिस्तान पर लगते रहे हैं। एक के बाद एक सबूत पेश करने के बाद भी वहां की हुकूमत भारत में आतंक फैलाने की बात नकारती आई है। दुनिया के चौधरी अमेरिका के सामने भारत के नेता घुटनों पर खड़े नजर आते हैं। अमेरिका बड़ी ही चतुराई के साथ हमारी पीठ पर हाथ रखकर संवेदना जताता है तो ठीक इसके बाद उसका हाथ पाकिस्तान के सर पर रखा नजर आता है। आतंक के पर्याय बन चुके दाउद इब्राहिम को अघोेषित तौर पर सुरक्षा प्रदान कर उगाही करवा रही है पाक इंटेलीजेंस। इतना ही नहीं वसूली के जरिए भी नायाब हैं। अब तो नकली नोट, गरम गोश्त, मादक दवाओं के माध्यम से हो रही वसूली। वसूली सेठ साहूकारों के साथ ही साथ अंडरवर्ल्ड से वसूली जा रही है चौथ।

एक अर्से से भारत आंतरिक और बाहरी सुरक्षा के लिए फिकरमंदा है। भारत में दहशतगर्दी के लिए पूरी तरह जिम्मेदार पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई द्वारा अपने नापाक मंसूबों को अमली जामा पहनाने के लिए भारत से ही धन उगाही की जा रही है। भारत सरकार इस बात को जानते बूझते भी किसी तरह का ठोस कदम नहीं उठा पा रही है। भारत में एक के बाद एक बम धमाके होते जा रहे हैं और देश की बेशर्म और नपुंसक सरकार नीरो के मानिंद चैन की बंसी बजा रही है। भ्रष्टाचार के मामलों में पानी सर के उपर आ चुका है, पर सरकार खामोशी ओढ़े हुए है।

आज दुनिया भर में इस बात को लेकर आश्चर्य के साथ कानाफूसी जारी है कि भारत में आतंक बरपाने वाली पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई द्वारा अंडरवर्ल्ड सरगना दाउद इब्राहिम के ज़रिए हिन्दुस्तान से ही धन की वसूली कर इसका इस्तेमाल भारत में अपने गुर्गों के माध्यम से दहशत फैलाने के लिए किया जा रहा है और भारत सरकार द्वारा महज पाक को बार बार चेताया ही जा रहा है।

दुनिया जान चुकी है कि पाकिस्तान द्वारा भारत में आंतरिक हालात बेकाबू करने के लिए प्रशिक्षित आतंकवादियों का सहारा लिया जा रहा है। आज आलम यह है कि भारत की तीन चौथाई से ज्यादा सुरक्षा एजेंसियां आतंक को रोकने के काम में लगी हुई हैं। एक तरफ उत्तरी सीमा पर पाकिस्तान, चीन और बंग्लादेश सीमा पर जवानों को घुसपैठ रोकने के लिए झोंका जा रहा है तो दूसरी ओर देश में एक के बाद एक हो रहे धमाकों से निपटने में सेना के साथ ही साथ पेरामिल्ट्री फोर्स के जवान अपने अदम्य साहस का परिचय दे रहे हैं।

खुफिया तंत्र से छन छन कर बाहर आ रही खबरों पर अगर यकीन किया जाए तो दाउद और आईएसआई द्वारा भारत से हर साल 800 करोड़ से अधिक की रकम उगाही जा रही है। सर्वविदित है कि दाउद द्वारा ‘‘दम‘‘ देकर धन उगाही लगभग दो दशकों से लगातार की जा रही है। दाउद का बेनामी पैसा हिन्दुस्तान में रियल स्टेट, फिल्म जगत, उद्योग धंधों, परिवहन, के साथ ही साथ गुटखों की फेक्ट्रियों में बड़ी तादाद में लगा हुआ है।

राजनीति, रूपहले पर्दे अथवा उद्योगों आदि में लोगों को आगे बढ़ाने में दाउद द्वारा पर्दे के पीछे से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जाती रही है। जो भी दाउद से उपकृत हुआ है, वह आज उसके नेटवर्क का मजबूत पाया बनकर ही उभरा है। दाउद की छोटी मोटी पार्टियों में भी रूपहले पर्दे के नायक नायिकाएं मुजरा करते नजर आते हैं। समाचार चेनल्स द्वारा हीरो हीरोईन के कमर मटकाते पार्टियों में लोगों का मनोरंजन करते कई बार दिखाया भी गया है। बावजूद इसके सरकारों द्वारा कोई ठोस कार्यवाही न किया जाना अनेक संदेहों को ही जन्म देता है।

कहा तो यहां तक भी जा रहा है कि हिन्दुस्तान में दहशतगर्दी का पर्याय बन चुका दुर्दांत आतंकवादी दाउद वर्तमान में पाकिस्तान में ही है, एवं वह आईएसआई के संरक्षण में स्वच्छंद सासें ले रहा है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चल रही चर्चाओं को सच मानें तो दाउद की सेवा टहल की जिम्मेदारी आईएसआई के जिम्मे ही है, यहां तक कि उसे जब भी मुल्क से बाहर जाना होता है, आईएसआई ही उसे नए नाम से पासपोर्ट और वीसा बनवाकर देती है। इस बात में कितनी सच्चाई है यह तो आईएसआई जाने या पाक, किन्तु अखबारों में दाउद के पाक मंे पनाह लेने की खबरों को बेमानी नहीं कहा जा सकता है।

गौरतलब होगा कि जनरल कियानी ने जब से पाकिस्तान सेना के प्रमुख बने हैं तब से भारत में आतंकवादी घटनाओं में तेजी से इजाफा हुआ है। वैेसे भी कियाना पहले आईएसआई के चीफ के ओहदे पर रह चुके हैं। पाकिस्तान और बंग्लादेश में पल रहे आतंकवादी गुटों का खर्चा निकालने के लिए दाउद और सिमी के नेटवर्क के माध्यम से भारत में तरह तरह के गैरकानूनी धंधों के लिए उपजाउ माहौल तैयार कर पैसा उगाहा जा रहा है। एक आश्चर्य जनक सत्य यह भी सामने आया है कि अवैध मादक पदार्थों के लगभग दस हजार करोड़ रूपए के कारोबार में दाउद की हिस्सेदारी सत्तर फीसदी से अधिक है।

वैसे भी भारत की भौगोलिक और राजनैतिक परिस्थितियां आतंकवादियों के लिए काफी हद तक अनुकूल कही जा सकतीं हैं। उत्तर भारत के पर्वतीय इलाके जहां साल में लगभग आठ माह सफेद चादर पसरी होती है, के रास्ते आतंकवादी हिन्दुस्तान में घुसपेठ आसानी से कर लेते हैं। रही कसर हमारा भ्रष्ट तंत्र पूरी कर देता है, जो इन दहशतगर्दों को बाकायदा पासपोर्ट, राशनकार्ड, वोटर आईडी, लाईसेंस आदि बनाकर दे देता है। विडम्बना ही कही जाएगी कि एक आम भारतीय को इन सब को पाने में एड़ी चोटी एक करनी पड़ जाती है, किन्तु घुसपेठिए इन्हें बहुत ही आसानी से हासिल कर लेते हैं।

पिछले कुछ सालों में हिन्दुस्तान में मादक पदार्थ, नकली नोट के साथ ही साथ जिस्मफरोशी की घटनाओं का ग्राफ तेजी से बढ़ा है, जो चिन्तनीय कहा जा सकता है। केंद्र के साथ ही साथ सूबों की सरकारें इन मामलात को काफी हल्के रूप में ले रही हैं। वोट बैंक की राजनीति से बाज आकर केंद्र सरकार को चाहिए कि हर राज्य की सरकार को इसके लिए पाबंद करे कि उसके राज्य में गैरकानूनी रूप से रह रहे विदेशी एवं संदिग्ध नागरिकों को तत्काल बाहर का रास्ता दिखाए, वरना आने वाले समय में बनने वाली भयावह तस्वीर के लिए वही जवाबदार कहलाई जाएगी।

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लिमटी खरे
हमने मध्य प्रदेश के सिवनी जैसे छोटे जिले से निकलकर न जाने कितने शहरो की खाक छानने के बाद दिल्ली जैसे समंदर में गोते लगाने आरंभ किए हैं। हमने पत्रकारिता 1983 से आरंभ की, न जाने कितने पड़ाव देखने के उपरांत आज दिल्ली को अपना बसेरा बनाए हुए हैं। देश भर के न जाने कितने अखबारों, पत्रिकाओं, राजनेताओं की नौकरी करने के बाद अब फ्री लांसर पत्रकार के तौर पर जीवन यापन कर रहे हैं। हमारा अब तक का जीवन यायावर की भांति ही बीता है। पत्रकारिता को हमने पेशा बनाया है, किन्तु वर्तमान समय में पत्रकारिता के हालात पर रोना ही आता है। आज पत्रकारिता सेठ साहूकारों की लौंडी बनकर रह गई है। हमें इसे मुक्त कराना ही होगा, वरना आजाद हिन्दुस्तान में प्रजातंत्र का यह चौथा स्तंभ धराशायी होने में वक्त नहीं लगेगा. . . .

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