परिवर्तन की आंधी चली

बृजनन्दन यादव

भ्रष्टाचार और लोकपाल विधेयक पर अन्ना हजारे के आमरण अनशन से देश में एक नई चेतना का संचार हो रहा है। निश्चित ही यह देश के लिए शुभ संकेत है। यह परिवर्तन की आंधी है। इससे महापुरुषों की भविष्यवाणी सत्य सिद्ध होती दिखाई पड़ रही है। पं श्रीराम शर्मा आचार्य एवं हो. वे. शेषाद्रि सरीखे महापुरुषों ने कहा था कि 11 वीं सदी भारत की होगी। 2011 लगते ही देश में परिवर्तन का दौर शुरू हो गया था जैसे – जैसे समय बीत रहा है देश में परिवर्तन की लहर दिखाई पड़ रही है।

 

अन्ना हजारे के अनशन से तात्कालिक लाभ भले ही देश को न मिले लेकिन अन्ना की पहल ने देशवासियों को सोचने के लिए विवश कर दिया है यही कारण है कि आज देश भर में उनको भारी जनसमर्थन मिल रहा है। 2011 की शुरुआत होते ही योगगुरू बाबा रामदेव ने भ्रष्टाचार के खिलाफ हल्ला बोला तो क्रिकेट में भारतीय टीम ने जन्मजात दुश्मन पाक को परास्त कर श्रीलंका को चित करके विश्वकप पर कब्जा किया। इसके तुरन्त बात अन्ना हजारे ने भ्रष्टाचार एवं लोकबिल के मसौदे पर आमरण अनशन शुरू कर दिया। अन्ना हजारे के आमरण अनशन को पूरे देश में जन समर्थन मिल रहा है। उनके इस कदम का देशवासी पुरजोर समर्थन कर रहा है। आज राष्ट्रवादी शक्तियां देशघाती शक्तियों के विरूद्ध उठ खडी हुई दिखाई हुई दे रही हैं। निश्चित ही इससे भारत का भाग्योदय और अन्ना हजारे, योग गुरू बाबा रामदेव, अरबिन्द केजरीवाल और किरण बेदी सरीखे लोगों के मार्गदर्शन में भारत अपना खोया स्वाभिमान को प्राप्त कर सकेगा। अन्ना हजारे ने मांग की है कि लोकपाल बिल पास हो, देश के अन्दर लागू अंग्रेजों के सारे कानून समाप्त हों, भ्रष्टाचारियों को जेल, उम्रकैद और फँासी हो। यह परिवर्तन का दौर है। इस समय राष्ट्रवादी शक्तियों के एक मंच पर आने से सत्ताधीशों की सत्ता डोलती नजर आ रही हैं। भ्रष्टाचारियों के पाँव फूलते नजर आ रहे हैं। सत्ता की सूत्रधार सोनिया कहती हैं कि भ्रष्टाचार के खिलाफ हम अन्ना हजारे के साथ है लेकिन उनको आमरण अनशन त्याग देना चाहिए। वहीं दूसरी तरफ भ्रष्टाचार की संरक्षक व भ्रष्टाचार की जननी भी वही हैं।

 

देश के अन्दर अब विभाजनकारी देशघाती शक्तियों का अंत होने वाला है। आज भारत की सुप्त शक्ति का जागरण कर राष्ट्र एवं समाज हित में चेतना फूंकने का काम किया जा रहा है और देश के अन्दर चेतना निर्माण होती भी दिखाई पड़ रही है। जो स्वत: अपने बलबूते पर इन विधर्मी इशारों पर चलने वाले राक्षसी प्रतृति के लोगों को सबक सिखा सके। अब बहुत जल्द ही नकाबपोश नेताओं का काला चिट्ठा खुलकर देश के सामने आने वाला है। बस बहुत हो चुका है अब देश की जनता न्याय चाहती है। कोरे आश्वासनों एवं वादों से जनता का ध्यान हट गया है। नेता जनता पर शासन नहीं बल्कि जनता नेताओं पर शासन करेगी। नेता लोग सत्ता आगे समाज पीछे छोड़ देते हैं, वे अपना व्यक्तिगत हित साधने लगते हैं बल्कि समाज आगे सत्ता पीछे होना चाहिए तभी देश का कल्याण सम्भव है। अन्ना हजारे के आमरण अनशन को भारी जनसमर्थन मिलने से सरकार पर भी दबाव बढ़ता जा रहा है लेकिन सरकार झुकने को तैयार नही हो रही है। वह इस मुद्दे पर दोमुंही राजनीति कर रही है। अन्ना का यह कदम युवाओं के लिए प्रेरणादायी सिद्ध होगा। अब समय आ गया है कि देश के अन्दर मौजूद शक्तियां देश हित में अन्ना हजारे द्वारा उठाये गये कदम का समर्थन करते हुए अपने कर्तव्‍य का पालन करे। क्योंकि यही लोग जो राजनीति से अलग रहते हुए समाज एवं देश हित में लोकजागरण का काम कर रहे हैं। लोगों में आशा की किरण भी वही लोग हैं जो देश हित में कुछ कर सकते हैं और जनता का विश्वास भी उन पर है। राजनीतिज्ञ लोग तो चोर-चोर मौसेरे भाई वाला काम करते हैं। भ्रष्टाचार आज कांग्रेस पार्टी कर रही है कल को कोई दूसरी पार्टी आयेगी तो वह भी वही करेगी क्योंकि व्यवस्था ही ऐसी बन गयी है। हमारे देश का दुर्भाग्य रहा है कि आजादी के बाद देश ऐसे लोगों के हाथों गया जो विदेशी संस्कृति में पले बढे और भारतीय संस्कृति को तुक्ष मानते थे। उनकी धमनियों में देश के महापुरुषों का नही बल्कि अंग्रेजों का खून दौड़ रहा था। यह आन्दोलन भ्रष्टाचार एवं लोकपाल बिल को लेकर नही है बल्कि यह आन्दोलन सम्पूर्ण व्यवस्था परिवर्तन का आन्दोलन है। दिल्ली में अन्ना हजारे के आमरण अनशन स्थल पर राजनीतिज्ञों को शामिल न होने देना भी एक तरह से उचित ही है क्योंकि भ्रष्टाचार को प्रश्रय देने वाले भी यही लोग हैं। ये लोग धरने में शामिल होकर जनता की सहानुभूति लेना चाहते हैं। किन्तु कब से यह बिल संसद में लटका पड़ा है तब किसी ने आवाज नही उठायी। सत्ता परिवर्तन से कुछ होने वाला नही है, सत्ता परिवर्तन तो मात्र उसका एक छोटा सा भाग है। इसके लिए दृढ़ इच्छाशक्ति से युक्त, संघर्षशील नेतृत्व देश को आज आवश्यकता है। इसके लिए व्यक्ति के मन को बदलने की आवश्यकता है, क्योंकि व्यक्ति परिवर्तन से ही व्यवस्था परिवर्तन होता है, व्यवस्था परिवर्तन से ही समाज में परिवर्तन आता है और समाज परिवर्तन से ही देश में परिवर्तन आता है। यही आज की महती आवश्यकता है। जब तक इस देश की सोच को नही बदला जायेगा, तब तक इस देश के समक्ष चुनौतियों का अंबार लगा रहेगा। इसके लिए लोगों में अपनी संस्कृति एवं परम्पराओं का पालन करना होगा। भारतीय जीवन मूल्यों के समक्ष उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने में भी सक्षम होना चाहिए। आज देश परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। इस परिवर्तन के दौर में प्रत्येक भारतवासी का कर्तव्‍य है कि देश एवं समाज हित में अपनी भूमिका का निर्वहन करते हुए कर्त्तव्य का पालन करते हुए लोकजागरण कर देश को वर्तमान चुनोतियों से निजात दिलाते हुए भविष्य के लिए तैयार करे। अन्ना हजारे की मांग है कि लोकपाल किसी भी मामले की जांच करने में सक्षम हो और लोगों से सीधे शिकायत स्वीकार करने की भी शक्ति हो। यह परामर्शदात्री संस्था के बजाय सशक्‍त संस्था एवं किसी अधिकारी पर अनुशासनात्मक कार्यवायी करने की भी सामार्थ्य हो। नौकरशाहों जजों की जांच करने की सामर्थ्य एवं उन्हें बर्खास्त करने की भी पावर होनी चाहिए तथा भ्रष्टाचारियों से घोटालों की रकम की भरपाई की जा सके। इसको आठ बार सरकारी एवं छ: बार गैर सरकारी विधेयक के रूप में स्थापित करने की कोशिश की गई लेकिन हर बार उसमें रोड़ा अटकाने का काम किया गया। इन सभी काली करतूतों के लिए जिम्मेदार हमारे राजनेता ही हैं एवं उनके पीछे जनता भी है क्योंकि जनता ही उनको चुनकर भेजती है और वे हमारे ही पर कतरते हैं।

 

1 COMMENT

  1. कारवां मेरा किसी के रोके रूक नहीं सकता ,
    तूफान हूँ मैं आये बिना थम नहीं सकता
    बुलंदियों की जिसको चाह नहीं होती
    उसके जीवन मैं कोई सोगात नहीं होती
    बूँद ,बूँद होकर भी अपना ऐहसास नहीं खोती
    ज़माने के लिए मैं कुछ भी नहीं,बस बूँद ही सही
    पर बूँद बिना समुन्दर की ओकात नहीं होती ……….

    Shailendra Saxena “aadhyatm”
    09827249964,
    Director- Ascent English Speaking Coaching
    4- Khamba Vali Gali
    Bareth-Road, Ganj Basoda

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