पधारो म्हारी चौपाल!

0
145

writers-cartoon
हे चाय चौपाल के बहाने वोट की जुगाड़ करने वालो! बड़े फन्ने खां बने फिरते हो न! पर अब आपको यह जानकर जितना आप सहन कर सकते हो उससे भी कहीं अधिक दुख होगा कि हमने आपका पहले वाले दाव का तोड़ निकाला हो या न पर आपकी चाय चौपाल का तोड़ निकाल लिया है। आप जानना चाहते होंगे कैसे? सो मित्रों, कल से आपकी हर चाय की चौपाल के ठीक सामने ठांय चौपाल खोलने का हमारी पार्टी ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया है ताकि ईंट का जवाब पत्थर से नहीं बल्कि पत्थरों से दिया जा सके। अरे जनता को गधा समझा है क्या! चाय की प्याली में वोट मारने निकले थे। बड़े आए मैंनेजमेंट जुगाडू़!
बरसों से खून के आंसू पी रही जनता को अगर पीना ही है तो चुनाव के दिनों में भी वह बेचारी चाय पीकर क्यों अपना मुंह फूके? आप सबको बहला फुसलाकर उल्लू बना सकते हो, पर चाय चौपाल के बहाने हमारी प्यारी जनता को कम से कम उल्लू नहीं बना सकते। न ही आपके द्वारा हम उसे उल्लू बनने देंगे। जनता का उल्लू बनाने का हमारा पुष्तैनी हक है। अबके भी हम अपने इस हक को बरकरार रखेंगे। अरे नासमझो! यही दिन तो जनता की भरपूर मस्ती के दिन होते हैं। अगर इन दिनों भी जनता मुंह ही फूकती रही तो लानत है चुनाव पर!
छि! चुनाव के दिनों में भी चाय! हाय! हाय!!
अरे वोटरों! उनकी चौपाल पर पीने क्या जाना? वही देसी पत्तियों की चाय! अरे, वैसी तो आप दिन में दस बार अपने ही घर में सुड़क लेते हो! ऐसी चाय के लिए उनकी चौपाल पर जा काहे का अहसान लेना। कल को कुछ हो हवा गया तो सारे बदनाम करते फिरेंगे कि अपने देष के वोटर अब विश्वास के लायक ही नहीं रहे, चाय हमारी पीते और वोट किसी और को दे गए! विश्वासी घाती कहीं के। गालियां सुननी ही हैं तो हमारी चौपाल पर मदहोश हो सुनना। मन तो मानेगा कि कुछ पीकर गालियां सुनीं! उनकी चाय में दूध पता नहीं असली होगा कि नकली? या राम जाने कोई देसी बहाना बना होगा ही नहीं! और चीनी? मिठास जब आजकल एक ही छत के नीचे एक दूसरे के लिए नहीं बची है तो आप तो वोटर हैं वोटर! ऐसे में अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है कि उनकी चाय में मिठास के नाम पर होगा! आजकल दूसरों के लिए बची ही कहां हैं? अरे हमारी चौपाल पर आना! एक से एक देसी, विदेसी ब्रांडों के पेयों से मन मधुषाला न बना दिया तो दूसरे दिन चौपाल की बल्लियां उखाड़ वहां कीर्तन न शुरू कर दिया तो कहना! हमारे पाउच तक में अगर एक बूंद भी अडल्टरशन मिले तो अगले दिन से ही राजनीति करना बंद न कर दें तो जा चाहे कहना। सब सुनेंगे! सिर झुकाकर सुनेंगे!
हे मेरे देश के वोटरों! ये चाय वाले आपको सरासर ठग रहे हैं कि चाय से चाह बढ़ती है। तो हम देश की जनता को साफ-साफ इनकी चाय से सचेत करते हुए वैधानिक चेतावनी जारी करते हैं कि इनकी चाय से सावधान! चाय पीने से गैस्टिक की शर्तियां कभी न ठीक होने वाली प्रॉब्लम हो सकती क्या, होती देखी गई है। देश के सरकारी अस्पतालों में जितने भी मरीज आजकल आ रहे हैं उनमें अस्सी प्रतिशत चाय के कारण हुई गैस्टिक के ही आ रहे हैं। और हे मेरे देश के वोटरों! हम आपको यह भी चेतावनी देते हैं कि पेट की खराबी देश की एक ऐसी खराबी है जिसने पूरे देश को बरबाद करके रख दिया है।
इसलिए हे मेरे देश के वोटरों! औरों से सावधान हों या न पर उनकी चाय से सावधान हो जाओ! वे चाय के बहाने आपको चाय नहीं, चाय में कुछ और पिलाना चाहते हैं। हो सकता है कि चाय में कुछ ऐसा वैसा मिला हो जो आपका दिमाग खराब कर दे। हे वोटरों! वैसे तो आप समझदार हों, पर चुनाव के दिनों में बड़े से बड़ा तीस मार खां वोटर भी गच्चा खाता आया है। रही बात पीने की, तो चाय क्यों, पीना ही है तो हमारी चौपाल पर आइए! आपके लिए हमारी चौपाल चुनाव के आखिरी क्षण तक चौबीसों घंटे खुली रहेगी। जितनी पीनी हो पीजिए और पीकर मस्त होकर जाइए। जरा इनसे आप ही पूछिए, चाय पीकर कोई आजतक मस्त हो सका है। ये क्या जानें? हम ही जानते हैं कि मस्ती के आपके जीवन में ये चंद महीने कितने कीमती होते हैं। अगर इन महीनों भी चाय पी तो काहे के चुनाव?
इसलिए एकबार हमारी चौपाल पर आकर देखिए तो सही, हम आपको विश्वास दिलाते हैं कि एकबार जो हमारी चौपाल पर आ गए तो अपनी चौपाल की कसम, मान जाएं जो आप वहां से चुनाव संपन्न होने के बाद भी उठने का नाम लें। हमारी चौपाल पर उनकी चौपाल की तरह मुंह नहीं जलेगा बल्कि जले हुए दिल तक को राहत मिलेगी। हम आपका उनकी तरह मुंह जलाने नहीं बल्कि आपके दिल की आग बुझाने आए हैं। हमारी चौपाल पर पीने से पेट एकदम ठीक हो जाएगा। बरसों की गैस्टिक ठीक हो जाएगी। इन चंद महीनों के लिए ही सही, पेट की भूख के सारे कीड़े मस्त होकर सो जाएंगे!

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here