पाकिस्तान की घबराहट और गिलानी का सच

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-प्रवीण दुबे-
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जब राष्ट्रवादी, स्वाभिमानी और ईमानदार ताकतें जब मजबूत होती हैं तो किस प्रकार राष्ट्रविरोधी ताकतों के पेट में मरोड़ उठती है। सैय्यद अलीशाह गिलानी का नरेन्द्र मोदी को लेकर लगाया गया आरोप इसका प्रमाण है। यूं तो गिलानी जैसे नेताओं की असलियत किसी से छुपी नहीं है। वे कश्मीर को भारत से पृथक करने के लिए अलगाववादी आंदोलन का संचालन करते रहे हैं। अब हम आपको जो कुछ बताने जा रहे हैं उससे पूरी तरह यह साफ हो जाएगा कि गिलानी ने आखिर मोदी पर शाब्दिक हमला क्यों बोला? और इसके पीछे कौन है? सय्यद अलीशाह गिलानी यूं तो कश्मीर के जिला बहार मौला के दुरु, सोपोर में हुुआ है। लेकिन गिलानी ने भारत में जन्म के बावजूद पाकिस्तानी राष्ट्रीयता ले रखी है। यह बात हम नहीं कह रहे हैं। इंटरनेट के विकिपीडिया द्वारा सय्यद अलीशाह गिलानी के बारे में जो प्रोफाइल प्रस्तुत की गई है उसमें साफ तौर पर गिलानी की राष्ट्रीयता-पाकिस्तानी बताई गई है। इतना ही नहीं विकिपीडिया के अनुसार गिलानी की तहरीक-ए-हुर्रियत नाम से एक राजनीतिक पार्टी भी है। तो आप भली प्रकार समझ गए होंगे कि गिलानी ने कश्मीर को लेकर मोदी पर जो हमला बोला उसके पीछे कौन है? जिस व्यक्ति की राष्ट्रीयता पाकिस्तानी है जो व्यक्ति कश्मीर को भारत से पृथक करने का आंदोलन चला रहा है जो व्यक्ति कश्मीर में लोकतांत्रिक प्रक्रिया का विरोधी है वह यह कैसे बर्दाश्त कर सकता है कि भारत में एक स्वाभिमानी और देशभक्त राजनीतिक नेतृत्व का परचम लहराए। पूरे देश ने देखा है किस प्रकार गिलानी जैसे अलगाववादी नेता भारत विरोधी राग अलापते रहे हैं, कश्मीर को भारत से अलग करने के मामले पर यह नेता किस प्रकार पाकिस्तान का सहारा लेते रहे हैं।

गिलानी द्वारा मोदी को लेकर जो वक्तव्य दिया गया है उसका राजनीतिक विश्लेषण किया जाए तो साफ तौर पर जो बात निकलकर सामने आती है वह यह है कि गिलानी के पीछे पाकिस्तान का दिमाग काम कर रहा है। पाकिस्तान इस कारण से बुरी तरह भयभीत है कि भारत में व्यवस्था परिवर्तन के साफ संकेत दिखाई दे रहे हैं। पाकिस्तान के लिए दूसरी सबसे बड़ी चिंता की वजह यह है कि लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में जोरदार हवा बह रही है। पाकिस्तान इस बात को लेकर भारी भयभीत है कि भारत में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में यदि सरकार बनती है तो कश्मीर, धारा 370, घुसपैठ और भारत में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने वाले विषयों का क्या होगा? पाकिस्तान यह भी भली प्रकार जानता है कि इन विषयों को लेकर नरेन्द्र मोदी का सोच प्रबल राष्ट्रवादी रहा है। ऐसे हालात में पाकिस्तान शेष बची भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में कश्मीर के विषय को मुद्दा बनाकर अलगाववादियों द्वारा बखेड़ा खड़ा करने की साजिश रच रहा है। यूं तो यह साजिश कोई नई नहीं है लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठन और इनसे संबंध रखने वाले आतंकवादी हाफिज सईद और अजहर मसूद जैसे लोग लंबे समय से नरेन्द्र मोदी को समाप्त करने के प्रयास करते रहे हैं। भारत की खुफिया एजेंसियां कई बार इस बात का अलर्ट जारी कर चुकी हैं कि नरेन्द्र मोदी आतंकवादियों के निशाने पर हैं। आखिर कौन भूल सकता है बिहार की उस रैली को जब आतंकियों ने मोदी को निशाना बनाने के लिए एक के बाद एक कई विस्फोट किए थे। मोदी उस समय मंच पर थे और कुछ भी हो सकता था। साफ है जहां एक तरफ मोदी को जान से मारने की रणनीति पर काम किया जा रहा वहीं दूसरी ओर लोकतांत्रिक प्रतिक्रिया को किसी भी तरह से बाधित किया जाए, इसका षड्यंत्र चल रहा था। इन दोनों ही बातों के पीछे एक ही उद्देश्य राष्ट्रवादी शक्तियों को रोकना, भारत में व्यवस्था परिवर्तन की लहर को थामना। पाकिस्तान और उसके मुंहलगे आतंकवादी और तमाम आतंकी संगठन जिनमें कि पाकिस्तानी सेना भी शामिल है, जब लगभग आधी सीटों पर समाप्त हो चुकी लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बाधित नहीं कर सके तो अब अलगाववादियों के सहारे मोदी को बदनाम करने और चुनावों में कश्मीर का विषय उछालने का षड्यंत्र चलाया जा रहा है। सय्यद अली शाह गिलानी जैसे भारत विरोधी कठमुल्ले इस षड्यंत्र का ही हिस्सा हैं। यह घटनाक्रम सामने आने के बाद सबसे महत्वपूर्ण सवाल तो यह खड़ा हो गया है कि खुलेआम भारत विरोधी गतिविधियों का अंजाम देने और पाकिस्तान की राष्ट्रीयता धारण करने वाले गिलानी जैसे आस्तीन के सांपों को भारत में दूध क्यों पिलाया जा रहा है? क्यों इनके फन को कुचला नहीं जाता? आखिर ऐसे देशद्रोहियों का तुष्टीकरण कौन कर रहा है? आज इन सवालों का उत्तर देश जानना चाहता है। गिलानी जैसे लोग अन्न भारत का खाते हैं, पानी भारत का पीते हैं, सारे भारतीय संसाधनों का दुरुपयोग करते हैं और भारतीय कश्मीर को भारत से अलग करने के लिए आंदोलन चलाते हैं। इन्हें नरेन्द्र मोदी जैसे देशभक्त और स्वाभिमानी भारतीय इस कारण पसंद नहीं क्योंकि भारत की सत्ता में आए तो भारतीय कश्मीर तो छोड़िए, पाकिस्तान कब्जे वाले कश्मीर पर भी तिरंगा लहराएगा और गिलानी जैसे नेताओं को पाकिस्तान के अलावा कहीं शरण नहीं मिलेगी।

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