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पंकजजी, वैचारिक जमीन पर विमर्श कीजिए - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
-सचिन श्रीवास्तव प्रिय संजीव जी अभी अभी आपका मेल मिला। इसका जवाब रूपी पत्र काफी लंबा हो गया। इसलिए मुआफी। कुछ निजी दिक्कतों के कारण काफी दिनों से प्रवक्ता को नहीं देखा था और कई लेखों को पढ़कर अच्छा लगा कि हिंदी का बौद्धिक कम से कम विमर्श तो कर…