भालू की दावत‌

bearचूहे राजा बहुत जोर से,

भालू पर चिल्लाये।

“मेरी बेटी की शादी है,

गिफ्ट क्यों नहीं लाये?

 

बिना गिफ्ट के तुमको,

भोजन नहीं मिलेगा भाई।

नहीं देखते कितनी ज्यादा,

बढ़ी हुई मँहगाई।”

 

भालू बोला, “चूहे राजा,

मत गुस्सा हो यार।

खुद ही बनकर गिफ्ट आई है,

बिल्ली तेरे द्वार।”

 

ऐसा कहकर भालूजी ने,

डिब्बा एक दिखाया।

म्याऊँ म्याऊँ का जिसके भीतर,

से कोमल स्वर आया।

 

डर के मारे दौड़ लगाकर,

भागे चूहे भाई।

बिना दिये ही गिफ्ट,

रीछ ने दावत खूब उड़ाई।

Previous articleकैसे हो इस राक्षसी विनाशलीला का अंत?
Next articleहथिनी दीदी
प्रभुदयाल श्रीवास्तव
लेखन विगत दो दशकों से अधिक समय से कहानी,कवितायें व्यंग्य ,लघु कथाएं लेख, बुंदेली लोकगीत,बुंदेली लघु कथाए,बुंदेली गज़लों का लेखन प्रकाशन लोकमत समाचार नागपुर में तीन वर्षों तक व्यंग्य स्तंभ तीर तुक्का, रंग बेरंग में प्रकाशन,दैनिक भास्कर ,नवभारत,अमृत संदेश, जबलपुर एक्सप्रेस,पंजाब केसरी,एवं देश के लगभग सभी हिंदी समाचार पत्रों में व्यंग्योँ का प्रकाशन, कविताएं बालगीतों क्षणिकांओं का भी प्रकाशन हुआ|पत्रिकाओं हम सब साथ साथ दिल्ली,शुभ तारिका अंबाला,न्यामती फरीदाबाद ,कादंबिनी दिल्ली बाईसा उज्जैन मसी कागद इत्यादि में कई रचनाएं प्रकाशित|

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here