शांति की राह में मोदी का तीखा रायता

-जगदीश यादव-

Narendra_Modi

नरेन्द्र मोदी के भारत के पीएम बनने के बाद से ही कई मुस्लिम देशों की खास नजर भारत पर है। फिऱ वह देश हमारा पड़ोसी बांग्लादेश हो फिर पाक और आफगान। स्थिती यह है कि तमाम देश भारत को अपने स्तर पर तौल रहे हैं।शायद उक्त देशों में अपवद को छोड़ दें तो अन्य देश भारत के साथ और बेहतर सम्बंध बनाने की कोशिश में है। ऐसे में एकदम से यह नहीं मान लेना चाहिए की भारत के पड़ोसी देश मोदी सरकार के आने के बाद से दहशत में हैं। यह प्रचारित करने वाले कि मोदी के भारत के पीएम बनने से भारत के पड़ोसी देश दहशत में है ऐसा कहने वाले नादान हैं और मोदी का तीखा रायता फैला रहें हैं। इन बातों को तब और ज्यादा हवा मिली जब  गुरुवार को बॉर्डर गार्ड्स बांग्लाददेश के महानिदेशक मेजर जनरल अजीज अहमद के नेतृत्व में बांग्लादेश का एक प्रतिनिधि मंडल केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मिला। बांग्लादेश का यह शिष्ट मंडल नई दिल्ली में आयोजित सीमा सुरक्षा बल और बॉर्डर गार्ड्स बांग्लादेश के बीच ‘सीमा समन्वाय सम्मेलन’ में भाग लेने आया था। मिलने का हो लेकिन यह भारत सहित एशियाके लिये बेहतर होगा कि यहां शांति का माहौल हो। इस दिन ही अफगान नेशनल आर्मी के सेना प्रमुख जनरल शेर मोहम्म द करीमी ने नई दिल्ली में सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह से मुलाकात कर विभिन्न मुद्दों पर बात की। सीमा सुरक्षा बल के महानिदेशक देवेन्द्र कुमार पाठक ने गृह मंत्री को जानकारी दी है कि दोनों देशों और दलों के सामान्य हितों के मुद्दों, जैसे- सीमा पर हिंसा, सीमा पार अपराध,नकली भारतीय मुद्रा और मादक पदार्थों की तस्कीरी पर चर्चा हुई। दोनों देशों के सीमा बलों ने भारतीय विद्रोही गुटों के खिलाफ कार्रवाई और उनके ठिकानों को नष्ट करने, बांग्लानदेशी नागरिकों की तस्कारी और अवैध प्रवास पर रोक लगाने के संयुक्त प्रयास सहित सीमा पार अपराधों को रोकने के लिए सीमा प्रबंध योजना के प्रभावी क्रियान्वयन जैसे मुद्दों पर भी बातचीत हुई । भारत के गृहमंत्री ने दोनों सीमा बलों द्वारा सीमा पर संयुक्त गश्त करने तथा विश्वास बहाली के आवश्यक उपाय करने पर भारत-बांग्लादेश सीमावर्ती हालात पर संतोष व्यक्त‍ किया। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच सौर्हादपूर्ण सम्बंध है, लिहाजा आपसी सम्बंधों को मजबूत करने के लिए दोनों पक्षों के बीच वार्ता जारी रहनी चाहिए। लेकिन ऐसे लोगों की कमी नहीं है,

जो बाल का गैर जरूरी खाल निकाल रहे हैं। वैसे यहां बता देना उचित होगा कि लोकसभा चुनाव के बाद मोदी सरकार के आने के बाद से बांग्लादेश के तमाम समाचारपत्रों में मोदी सरकार के प्रति सकरात्मक खबरों को स्थान दिया गया था। बांग्लादेश की मीडिया ने आशा व्यक्त किया की नये सरकार से बांग्लादेशके सम्बंध पहले से बेहतर होंगे। शायद यही कारण रहा जब विदेशमंत्री के तौर पर सुषमा स्वराज वहां गई तो उनकी यात्रा सकरात्मक रही। यह अलग बात है कि यात्रा पर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का जो सकरात्मक सहयोग मिलना था वह देश की सरकार को नहीं मिल सका था।  खैर देखना है कि भारत के बढ़ते व शसक्त कदम से एशिया में उसकी तस्वीर क्या होगी।

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