खुशी

naxal
“क्या बात है,बहुत खुश हो आज|”उसने उससे कहा|
“बात ही ऐसी है,आज खुश नहीं होऊंगा तो कब होऊंगा|’
“अरे भाई पता भी तो लगे हमारे प्रिय मित्र की खुशी का रहस्य|”
“आज बहुत बड़ी साध पूरी हो हई मेरी|”
“क्या कोई लाटरी लग‌ गई या कारूं का खजाना मिल गया?”
“इससे भी बड़ी उपलब्धि”
“अरे भाई क्यों गोल मोल बातें कर रहे हो,साफ साफ कहो न|”
“बेटे को नौकरी लग गई|”
“सच,तब तो मिठाई खिलाओ मित्र |क्या काम मिला,प्रायवेट कंपनी में या सरकारी में?’
“वह नक्सलाइट हो गया है|कुछ नक्सलाइट आये थे,उसे ले गये,अपने केंप में भरती करेंगे ,ट्रेनिंग देंगे और हथियार‌ चलाना  सिखायेंगे|”
“नक्सलाईट? मगर तुम्हें इससे क्या मिलेगा?’
” हर माह राशन, पूरे महिने का वादा कर गये हैं|”
“मगर क्या यह उचित है?”
” क्यों नहीं,हमारे घर, हमारे परिवार के किसी सदस्य पर हमले नहीं होंगे|सुरक्षा का वादा भी तो किया है उन्होंनें|”

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प्रभुदयाल श्रीवास्तव
लेखन विगत दो दशकों से अधिक समय से कहानी,कवितायें व्यंग्य ,लघु कथाएं लेख, बुंदेली लोकगीत,बुंदेली लघु कथाए,बुंदेली गज़लों का लेखन प्रकाशन लोकमत समाचार नागपुर में तीन वर्षों तक व्यंग्य स्तंभ तीर तुक्का, रंग बेरंग में प्रकाशन,दैनिक भास्कर ,नवभारत,अमृत संदेश, जबलपुर एक्सप्रेस,पंजाब केसरी,एवं देश के लगभग सभी हिंदी समाचार पत्रों में व्यंग्योँ का प्रकाशन, कविताएं बालगीतों क्षणिकांओं का भी प्रकाशन हुआ|पत्रिकाओं हम सब साथ साथ दिल्ली,शुभ तारिका अंबाला,न्यामती फरीदाबाद ,कादंबिनी दिल्ली बाईसा उज्जैन मसी कागद इत्यादि में कई रचनाएं प्रकाशित|

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