विहॅस रही राका बाला।
शुभ सुहाग सिन्दूरी टीका,
सोहत है मंगल वाला॥1॥
अलंकृता कल कला प्रेय संग,
पहुँची मानो मधुशाला।
छिन्न भिन्न छकि छकि क्रीड़ा में,
विखरत मोती की माला॥2॥
-डॉ0 महेन्द्र प्रताप पाण्डेय ”नन्द”
विहॅस रही राका बाला।
शुभ सुहाग सिन्दूरी टीका,
सोहत है मंगल वाला॥1॥
अलंकृता कल कला प्रेय संग,
पहुँची मानो मधुशाला।
छिन्न भिन्न छकि छकि क्रीड़ा में,
विखरत मोती की माला॥2॥
-डॉ0 महेन्द्र प्रताप पाण्डेय ”नन्द”
स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान पत्रकारिता ने जन-जागरण में अहम भूमिका निभाई थी लेकिन आज यह जनसरोकारों की बजाय पूंजी व सत्ता का उपक्रम बनकर रह गई है। मीडिया दिन-प्रतिदिन जनता से दूर हो रहा है। ऐसे में मीडिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठना लाजिमी है। आज पूंजीवादी मीडिया के बरक्स वैकल्पिक मीडिया की जरूरत रेखांकित हो रही है, जो दबावों और प्रभावों से मुक्त हो। प्रवक्ता डॉट कॉम इसी दिशा में एक सक्रिय पहल है।
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