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कविता/ माँ...तेरी ऊँगली पकड़ के चला... - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
माँ...तेरी ऊँगली पकड़ कर चला... ममता के आँचल में पला... हँसने से रोने तक तेरे ही पीछे चला बचपन में माँ जब भी मुझे डाटती... में सिसक–सिसक कर घर के किसी कोने में जाकर रोने लगता फिर बड़े ही प्रेम से मुझे बुलाती... कहती, बेटा में तेरे…