मन से पुकारो,
वो चला आयेगा।
राह में कोई
मिल जायेगा,
जब वो उजाले
मे ले जायेगा,
तब सब साफ़
नज़र आयेगा।
पहचानो,
भगवान नज़र आयेगा,
क्योंकि,
वह नीचे आता है
कभी ,नहीं
ज़रिया बनाकर
भेजता है,
इन्सान को ही।
वो होगा इन्सान ही,
कुछ समय के लियें,
तुम्हारे ही लियें,
थोड़ा ऊपर उठ जायेगा।
वो मित्र, शिक्षक, चिकित्सक,
या कोई और भी हो सकता है।
तुमसे तुम्हारी,
पहचान वो करायेगा,
मन की खिड़कयाँ खोलो,
धूल की पर्त को धोलो,
वो सहारा देगा,,,
पर सहारा नहीं बनेगा,
राह दिखाकर,
भीड़ में खो जायेगा।
– बीनू भटनागर
VISHWAAS PAR AADHAARIT SUNDAR KAVITA KE LIYE BINU BHATNAGAR JI KO BADHAAEE
AUR SHUBH KAAMNA .
बीनू जी,
भगवान .. दया के सागर .. अनुभव भी किसी कारण भेजते हैं, हम ही उन्हें पहचान नहीं पाते ।
कविता के लिए हार्दिक बधाई ।
विजय निकोर
धन्यवाद