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आज़ादी के जश्न पर एक चिंतन-गीत / गिरीश पंकज - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
आजादी का जश्न अभी भी, फीका-फीका लगता, असफल दिल्ली देख-देख कर दिल अपना यह दुखता एक नए भारत का फिर से, करना है विस्तार, जहाँ कुर्सियां अपने जन से, करे हमेशा प्यार. न वो लाठी चलवाए, न गोली से मरवाए... --------- अभिव्यक्ति पर लगे हैं पहरे, उफ़ काले कानून. लगा…