आदमी की जान लेना भी तो कारोबार है..... - प्रवक्ता.कॉम - Pravakta.Com
इक़बाल हिंदुस्तानी 0देश उनकी गोद में जाने को अब तैयार है, राजनीति जिनकी ख़ानाजंगी का आधार है। 0ताक़तों दौलत के बल पर छिन रही पतवार है, और कश्ती का असल मालिक यहां लाचार है। 0किसमें हिम्मत है कि पूछे उसका क्या किरदार है, ऐब चाहे हों हज़ारों आदमी…