यह पुत्र-पितृ आलिंगन
गणपति-शंकर आलिंगन
नमोऽस्तुते जै गिरिजा नंदन
जयति जयति जै गजवदन गजानन
जै गणपति, जै विघ्न विनाशन
कितना पावन मन भावन
गणपति- शंकर आलिंगन
जयति विनायक, गणाध्यक्ष, इकदन्तन
कपिल, सुमुख, रिद्धि-सिद्धि के स्वामिन
विघ्न-विनाशक, घूमकेतु जै विकट गजानन
भालचन्द्र, लम्बोदर हे-
हम सदैव- गजकरण-शरण।
स्वीकारो हे वक्रतुण्ड द्वादश-नामावलि अर्पण।।
कितना पावन मन भावन
गणपति- शंकर आलिंगन
औंकार-स्वरूपा सर्वेश्वर-प्रदाता-भगवन,
मंगल-मूरत शुभकारी, अज् अनादि, अनंतन।
साक्षात् ब्रह्म, शशिभाल, गजानन,
जनन्नियंता, शुभ-गुण-कानन।।
कितना पावन मन भावन
गणपति- शंकर आलिंगन
राज सदैव शरण तिहारी,
शिव-सुत हे चतुरानन,
आशापूरक-नारायण, कोटि-कोटिश: वंदन।
संकट काटनहार प्रभु, कोटि कोटिश: वंदन।।
कितना पावन मन भावन,
यह पुत्र-पितृ आलिंगन,
गणपति- शंकर आलिंगन।।