श्यामल सुमन
जिसकी आत्मा में पहले “लोक”,
बाद में “तंत्र”।
मगर अब नित्य पाठ हो रहा-
“तंत्र” का नया मंत्र।
परिणाम!
नीयत, नैतिकता बेलगाम
मानव बना यंत्र
और
तंत्र – स्वतंत्र,
लोक – परतंत्र।
श्यामल सुमन
जिसकी आत्मा में पहले “लोक”,
बाद में “तंत्र”।
मगर अब नित्य पाठ हो रहा-
“तंत्र” का नया मंत्र।
परिणाम!
नीयत, नैतिकता बेलगाम
मानव बना यंत्र
और
तंत्र – स्वतंत्र,
लोक – परतंत्र।
स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान पत्रकारिता ने जन-जागरण में अहम भूमिका निभाई थी लेकिन आज यह जनसरोकारों की बजाय पूंजी व सत्ता का उपक्रम बनकर रह गई है। मीडिया दिन-प्रतिदिन जनता से दूर हो रहा है। ऐसे में मीडिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठना लाजिमी है। आज पूंजीवादी मीडिया के बरक्स वैकल्पिक मीडिया की जरूरत रेखांकित हो रही है, जो दबावों और प्रभावों से मुक्त हो। प्रवक्ता डॉट कॉम इसी दिशा में एक सक्रिय पहल है।