कविता ; मंत्र – श्यामल सुमन

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श्यामल सुमन

लोकतंत्र!

जिसकी आत्मा में पहले “लोक”,

बाद में “तंत्र”।

मगर अब नित्य पाठ हो रहा-

“तंत्र” का नया मंत्र।

 

परिणाम!

नीयत, नैतिकता बेलगाम

 

मानव बना यंत्र

और

तंत्र – स्वतंत्र,

लोक – परतंत्र।

 

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