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कविता:सपने का सच-मोतीलाल - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
एक दिन मैँने देखा एक सपना सपने मेँ औरत को मैँने छुआ एक ठंडी सी लहर काटती हुई निकल गयी आँखेँ कुछ कहना चाहती थी और देखना चाहती थी सपने मेँ अच्छी औरत कि कहीँ लिजलिजा सा काँटा आँखोँ मेँ धस गयी और छिन ली सारी रोशनी वह…