ब्लैकहोल होने की बात
सुगबुगाहट तक सिमित नहीं है
और ना ही बची है
कोई ओजोन
समय के गर्भ मेँ ।
आज समय का नाप-तौल
मापने की सारी शक्ति
उदारवाद के चमकते फर्श पर
सिसकने को विवश है
और कामना के हर कदम पर
बिछने को आतुर
वे सारी संभावनाएं
धीरे से
सुगबुगाहट बनती जा रही है ।
अभी और अभी ही
एक चिड़िया
स्याह घोसले को
ढूंढने में व्यस्त है
और कई चमगादड़
अपने पेड़ों को छोड़ चुके हैं ।
उधर एक बादल का टूकड़ा
चाँद की ओर
चुपके से पाँव पसार रहा है
इधर डिबरी के मद्धिम रोशनी में
इस चौपाल के उस कोने में
चार जने सुगबुगाहट आँच में
धीरे-धीरे गर्म हो रहे हैं ।
यदि हम कांटों को
कांटे से निकालने की बात छोड़ भी दें
तो भी बड़ी लाईन को
छोटी करने की बात
हम साथ लिए
इस विकट समय में ही जाएंगें
जहाँ ओजोन
और ब्लैकहोल की बात
समय के गर्भ में
अभी बेईमानी लगती है
जब हमारा आकाश
रक्तिम होकर
हमारे आंगन में पसरा है ।
मोतीलाल