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कविता/ करीब से देखा मैंने….. - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
चीख पुकार का वो मौत का मंज़र, उस मनहूस रात को करीब से देखा मैंने ... न जाने कितने गुनहगारों को लील गयी वो अपने ही हाथों से मौत को फिसलते हुए, करीब से देखा मैंने... धरती कों प्यासा छोड़ गयी वो भूख से तडपते हुओ को करीब से देखा…