श्यामल सुमन
हो करके बेदम पहुँचे।
हर चैनल में होड़ मची है,
दिखलाने को गम पहुँचे।
सब कहने का अधिकार है।
चौथा-खम्भा क्यूँ बीमार है।
गाँव में बेबस लोग तड़पते,
बस दिल्ली का समाचार है।
समाचार हालात बताते।
लोगों के जज्बात बताते।
अंधकार में चकाचौंध है,
दिन को भी वे रात बताते।
चौथा – खम्भा दर्पण है।
प्रायः त्याग-समर्पण है।
भटके हैं कुछ लोग यही तो,
सुमन-भाव का अर्पण है।
बहुत सुन्दर रचना …हार्दिक बधाई