कविता:ये मेरा देश

राजेश कुमार

ये मेरा देश है, जहां अजीब से किस्से होते हैं

रोने वाली बात पर हंसते हैं लोग, और चुटकुलों पर रोते हैं

बदलाव की चाह करना बेफकूफी है इस देश में

जहां सब मुर्दों की तरह जीए जा रहे हैं।

कई तो पी रहे हैं विदेशी शराब यहां

और बाकी लोग पानी की जगह आंसू पी रहे हैं

देश के करोड़ों भविष्य रोज यहां भूखे नंगे सोते हैं

रोने वाली बात पर हंसते हैं लोग और चुटकुलों पर रोते हैं।।

यहां नई सोच वाले को गालियां दी जाती है

दंगे भड़काने वाले को तालियां दी जाती है ।।

कई लोग बच्ची को जन्म देने से पहले मारते है यहां

फिर नवरात्री में ओरों की बच्चियों की आरती उतारते हैं यहां

भला करने के लिए मनोनीत नेता ही यहां चरस बोते हैं

रोने वाली बात पर हंसते हैं लोग और चुटकुलों पर रोते हैं।।

मझधार में आकर अपनों को डुबोना आदत बन चुकी है अपनी

गैरों के पीछे अपनों को खोने की आदत बन चुकी है अपनी

दूसरों के अरमानों का गला घोंट यहां अपने सपने संजोते हैं

रोने वाली बात पर हंसते हैं लोग और चुटकुलों पर रोते हैं।।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here