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कविता - यायावर - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
वह मेरे खाने के पीछे पड़ा था जब मैं खाना चाहता था अपना रुखा-सूखा खाना । वह मेरी नींद चुराना चाहता था जब मैं सोना चाहता था थक-हारकर एक पूरी नींद । वह मेरे प्यास के पीछे भी पड़ गया जब मैं पीना चाहता था चुल्लू भर पानी…