कविता: कविता या खबर-मोतीलाल - प्रवक्ता.कॉम - Pravakta.Com
यह कविता कैसे हो सकती है उस खौफजदा पल का जब दस मजबूत हाथ दो कच्ची जांघोँ को चीर डाल रहे थे और छूटते खून की गंध तुम्हारे ड्राइंगरुम मेँ नहीँ पहुंच पा रही थी हाँ अखबार के पन्ने दूसरे दिन उस गंदे रक्त से जरुर सना दिखा आखरी…