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कविता - अवशेष - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
मोतीलाल आग जब सबकुछ जला देगी कुछ तिलिस्म जिंदगी भर के वास्ते धुंधला जाने के लिए उम्मीद को छोड़ कर कहीं से भी चलकर निरर्थक परिक्रमा नहीं करेगी । तय शुदा सुरक्षा के अर्थ जब बंद हो जाएंगें सूरज के साथ-साथ हम मध्यांतर के उल्लास सा अर्थपूर्ण यात्रा की…